
भारतीय शेयर बाजार में हाल ही में एक बड़ी गिरावट देखने को मिली, जिससे निवेशकों को भारी नुकसान हुआ है। इस गिरावट की मुख्य वजह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए नए टैरिफ (कस्टम ड्यूटी) हैं, जिन्होंने भारतीय बाजार को और अधिक कमजोर कर दिया। अमेरिकी टैरिफ नीति के चलते भारतीय कंपनियों का निर्यात महंगा हो गया है, जिसके कारण इन कंपनियों के मुनाफे में गिरावट आई है। इसके अलावा, ट्रंप की व्यापारिक नीतियों का असर केवल भारतीय कंपनियों पर ही नहीं, बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ा है। इन बदलावों ने निवेशकों के मन में डर पैदा कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप भारतीय शेयर बाजार में बिकवाली का माहौल बन गया।पिछले कुछ दिनों में सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में बड़ी गिरावट देखी गई है। सेंसेक्स, जो कभी 63,000 के आसपास था, अब 59,000 के नीचे गिर गया है, जबकि निफ्टी में भी 1,100 अंकों की गिरावट आई है। इस गिरावट का असर भारतीय निवेशकों पर पड़ा है, जिनकी संपत्ति में भारी कमी आई है। आंकड़ों के मुताबिक, भारतीय शेयर बाजार में निवेशकों को करीब ₹20 लाख करोड़ का नुकसान हुआ है। यह एक विशाल राशि है, जो बाजार में निवेश कर चुके लोगों के लिए चिंता का विषय बन गई है। कई निवेशकों का मानना है कि अमेरिकी टैरिफ नीति के कारण भारतीय बाजार में और गिरावट हो सकती है।इस संकट के बावजूद, कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत है और यह गिरावट अस्थायी हो सकती है। भारत में कई ऐसे आर्थिक सुधार चल रहे हैं, जो लंबे समय में सकारात्मक परिणाम ला सकते हैं। इसके अलावा, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और सरकार की ओर से उठाए गए कदम भी निवेशकों को विश्वास दिलाने के लिए महत्वपूर्ण हो सकते हैं। सरकार ने कई सुधारात्मक कदम उठाने की योजना बनाई है, जो न केवल घरेलू निवेशकों को आकर्षित करेंगे, बल्कि विदेशी निवेशकों का विश्वास भी फिर से हासिल करने में मदद कर सकते हैं।हालांकि, यह ध्यान में रखना जरूरी है कि भारतीय शेयर बाजार और अर्थव्यवस्था पर वैश्विक स्थितियां भी असर डालती हैं। अमेरिका के साथ व्यापारिक तनाव, वैश्विक मंदी के संकेत, और अन्य अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम भारतीय बाजार को प्रभावित कर सकते हैं। ऐसे में, निवेशकों को सतर्क रहना जरूरी है। उन्हें केवल शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव से न घबराते हुए दीर्घकालिक निवेश की रणनीति अपनानी चाहिए, जिससे वे बाजार की अस्थिरता से सुरक्षित रह सकें।अब यह देखना होगा कि भारतीय बाजार भविष्य में कैसे प्रतिक्रिया करता है और क्या सरकार और आरबीआई के सुधारात्मक उपाय भारतीय बाजार को फिर से पटरी पर ला पाते हैं। फिलहाल, निवेशकों के लिए यह समय अधिक सतर्क रहने का है और रणनीतिक तरीके से निवेश की दिशा तय करने का है, ताकि वे आने वाले समय में इस गिरावट से उबर सकें और अपनी संपत्ति को फिर से बढ़ा सकें।