“बेंगलुरु में महिला से छेड़छाड़ पर गृह मंत्री का विवादित बयान, बड़े शहरों में घटनाओं का होना बताया सामान्य”

बेंगलुरु: हाल ही में बेंगलुरु में एक महिला से छेड़खानी की घटना सामने आई, जिसने पूरे शहर में खलबली मचा दी। इस घटना के बाद, राज्य के गृह मंत्री ने एक विवादित बयान दिया, जिसने उन्हें आलोचनाओं का शिकार बना दिया। गृह मंत्री ने कहा कि, “बड़े शहरों में ऐसी घटनाएं होती रहती हैं।” इस बयान ने न केवल बेंगलुरु बल्कि पूरे राज्य में एक नई बहस को जन्म दिया है, क्योंकि कई लोगों ने इसे महिलाओं की सुरक्षा के प्रति सरकार की लापरवाही और संवेदनहीनता के रूप में देखा। बेंगलुरु में एक महिला ने सार्वजनिक स्थान पर एक युवक द्वारा छेड़खानी करने की शिकायत दर्ज कराई थी। महिला के मुताबिक, युवक ने उसे अनचाही छेड़छाड़ का शिकार बनाया, जिससे वह डर और घबराहट का सामना कर रही थी। इस घटना के बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी और आरोपी को गिरफ्तार भी कर लिया।

गृह मंत्री का बयान

इस घटना के बाद गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र का बयान सामने आया, जिसमें उन्होंने कहा, “बड़े शहरों में ऐसी घटनाएं होती रहती हैं, और यह कोई नई बात नहीं है।” उनका यह बयान मीडिया और सामाजिक मंचों पर तीव्र आलोचना का कारण बना। कई लोगों का मानना है कि गृह मंत्री का यह बयान न केवल घटना के गंभीरता को नजरअंदाज करता है, बल्कि यह महिलाओं के प्रति समाज की उदासीनता और सरकार की नाकामी को भी उजागर करता है।समाजवादी कार्यकर्ताओं और महिला संगठनों ने इस बयान की आलोचना करते हुए कहा कि इसे महिलाओं के अधिकारों की रक्षा करने के बजाय इसे हल्के में लिया जा रहा है। उनका कहना था कि इस तरह के बयान सरकार की लापरवाह मानसिकता को दर्शाते हैं, जो महिलाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता नहीं देती है। इस विवादास्पद बयान के बाद विपक्षी दलों ने भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की। कांग्रेस और जनता दल (एस) के नेताओं ने गृह मंत्री के बयान को गैर जिम्मेदाराना और असंवेदनशील करार दिया। उन्होंने राज्य सरकार से मांग की कि वह महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कड़े कदम उठाए और ऐसे बयान देने वालों पर कार्रवाई करे।हालांकि, राज्य सरकार ने गृह मंत्री के बयान का बचाव करते हुए कहा कि उनका इरादा किसी को आहत करने का नहीं था और उन्होंने बयान में किसी विशेष घटना को सामान्य ठहराने का प्रयास नहीं किया था। सरकार ने यह भी कहा कि महिला सुरक्षा उनकी प्राथमिकता है और वे ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई कर रहे हैं।बेंगलुरु में हाल के दिनों में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की बढ़ती संख्या पर चिंता जताई जा रही है। महिला संगठनों का मानना है कि इस तरह के बयान से अपराधों के प्रति समाज का नजरिया नहीं बदलेगा और अपराधी को यह संदेश जाएगा कि उनकी कार्रवाइयों को हल्के में लिया जाएगा। वे यह भी चाहते हैं कि सरकार महिला सुरक्षा के लिए कठोर कदम उठाए और सार्वजनिक स्थलों पर पुलिस की गश्त बढ़ाए।यह विवादित बयान न केवल बेंगलुरु की घटनाओं को लेकर चर्चाओं का कारण बना, बल्कि यह पूरे राज्य में महिलाओं की सुरक्षा पर गहरी चिंता को भी उजागर करता है। क्या राज्य सरकार इस मामले में कोई ठोस कदम उठाएगी? या यह महज एक और घटना बनेगी जिसे भुला दिया जाएगा? यह सवाल अब भी अनुत्तरित है।

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