
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ हाईकोर्ट द्वारा दिए गए आदेश को खारिज कर दिया है। यह आदेश राज्य में अतिरिक्त शिक्षक पदों की भर्ती को लेकर सीबीआई जांच की मांग से संबंधित था। अदालत ने साफ किया कि राज्य सरकार द्वारा की गई इस भर्ती प्रक्रिया में सीबीआई जांच की आवश्यकता नहीं है और इस मामले की जांच करने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की ही होगी।यह मामला पश्चिम बंगाल में शिक्षा विभाग द्वारा अतिरिक्त शिक्षक पदों की भर्ती से जुड़ा हुआ था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि कुछ पदों की भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताएँ थीं। इस संबंध में उच्च न्यायालय ने यह निर्देश दिया था कि सीबीआई द्वारा जांच की जाए, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने इस आदेश को पलटते हुए कहा कि राज्य सरकार इस मामले की जांच कर सकती है और किसी बाहरी एजेंसी की जरूरत नहीं है।सर्वोच्च न्यायालय के इस निर्णय के बाद ममता सरकार ने राहत की सांस ली, क्योंकि अगर सीबीआई जांच होती, तो यह राज्य सरकार के लिए एक बड़े मुद्दे के रूप में सामने आता। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश में कोई ठोस आधार नहीं था और इसे खारिज किया जाता है। सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि राज्य सरकार अपनी जिम्मेदारी निभाए और किसी भी अनियमितता की जांच के लिए उचित कदम उठाए।इस फैसले से ममता बनर्जी की सरकार को कुछ राहत मिली है, क्योंकि यदि सीबीआई जांच शुरू होती, तो यह राजनीतिक दृष्टि से भी विवादास्पद हो सकता था। ममता सरकार ने पहले ही इस मुद्दे को राज्य सरकार की अधिकारिता में आने वाला मामला बताया था और सीबीआई जांच के खिलाफ विरोध व्यक्त किया था।यह मामला राज्य सरकार और विपक्ष के बीच राजनीतिक लड़ाई का भी हिस्सा बन चुका था, जहां विपक्ष ने आरोप लगाया था कि सरकार ने अपने करीबी लोगों को नियुक्त करने के लिए भर्ती प्रक्रिया में धांधली की है। हालांकि, उच्च न्यायालय ने इस मामले में सीबीआई जांच का आदेश दिया था, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने इस आदेश को खारिज कर दिया, जिससे राज्य सरकार को बड़ी राहत मिली है।इस निर्णय को राज्य के शैक्षिक प्रशासन और भर्ती प्रक्रिया के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जा रहा है, क्योंकि अब राज्य सरकार को अपनी ही जाँच प्रक्रिया को सुनिश्चित करने और यह साबित करने की जिम्मेदारी दी गई है कि भर्ती प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है।