“केदारनाथ धाम: आस्था की भीड़ या सिस्टम की गड़बड़ी? चंद मिनटों में टिकट फुल, क्या एजेंटों का है खेल?”

देवभूमि उत्तराखंड का केदारनाथ धाम एक बार फिर सुर्खियों में है, लेकिन इस बार वजह केवल श्रद्धालुओं की आस्था नहीं, बल्कि टिकट बुकिंग से जुड़ी अनियमितताएं हैं।

जैसे ही केदारनाथ यात्रा के लिए ऑनलाइन टिकट बुकिंग का पोर्टल खुला, चंद ही मिनटों में हजारों टिकटें बुक हो गईं। लेकिन सवाल ये उठ रहा है कि क्या वाकई इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालु खुद टिकट बुक कर रहे हैं, या फिर इसमें किसी एजेंट लॉबी का हाथ है?

कुछ ही मिनटों में ‘सोल्ड आउट’: क्या है माजरा?

उत्तराखंड चारधाम यात्रा के तहत केदारनाथ के लिए बुकिंग जैसे ही शुरू हुई, कुछ ही मिनटों में सारे स्लॉट फुल हो गए। जिन श्रद्धालुओं ने सुबह से बैठकर पोर्टल खोलने का इंतज़ार किया था, उन्हें निराशा हाथ लगी। कई लोगों का कहना है कि जब उन्होंने बुकिंग शुरू होते ही प्रक्रिया शुरू की, तब तक साइट स्लो हो चुकी थी और कुछ ही देर में सारे टिकट “Sold Out” दिखने लगे।

एजेंटों की लॉबी पर शक

शंका की सबसे बड़ी वजह यह है कि बाद में सोशल मीडिया और विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर भारी संख्या में टिकटों को ब्लैक में बेचने की बात सामने आई। कई यूज़र्स ने स्क्रीनशॉट्स शेयर किए, जहां निजी ट्रैवल एजेंट अधिक कीमत लेकर यात्रियों को टिकट देने की बात कर रहे हैं।एक श्रद्धालु ने बताया, “हमने खुद बुकिंग करने की कोशिश की लेकिन कुछ नहीं हुआ। बाद में एक एजेंट ने ₹1500 प्रति व्यक्ति में टिकट दिलाने का ऑफर दिया, जबकि असल रेट इससे काफी कम है।”

सरकारी सिस्टम पर सवाल

अब सवाल उठता है कि क्या सरकारी बुकिंग सिस्टम इतना कमजोर है कि एजेंट लोग बॉट्स या स्क्रिप्ट्स के जरिए पहले से टिकट बुक कर लेते हैं? या फिर कहीं न कहीं अंदर से मिलीभगत है?अगर वाकई में श्रद्धालु खुद टिकट नहीं बुक कर पा रहे, और एजेंट हर साल इस प्रक्रिया का फायदा उठाते हैं, तो ये केवल श्रद्धालुओं की आस्था के साथ नहीं, बल्कि सरकारी सिस्टम की पारदर्शिता पर भी सवाल है।

प्रशासन का क्या कहना है?

फिलहाल उत्तराखंड सरकार की ओर से कोई ठोस बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि मामले की जांच की जा रही है और यदि कोई एजेंटों द्वारा अनियमित बुकिंग पाई जाती है, तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।टूरिज्म विभाग के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “हमारा सिस्टम ऑटोमेटेड है और एक IP से ज्यादा बुकिंग की अनुमति नहीं है। लेकिन अगर कोई सिस्टम को बायपास कर रहा है, तो वह टेक्निकल जांच का विषय है।”

श्रद्धालु परेशान, यात्रा की तैयारी अधर में

जिन श्रद्धालुओं ने महीनों पहले यात्रा की योजना बनाई थी, अब उनके पास कोई रास्ता नहीं बचा। होटल बुकिंग, ट्रांसपोर्ट की तैयारी और बाकी इंतज़ाम सब अधर में लटक गए हैं। कुछ लोग मजबूरी में एजेंट से टिकट लेने पर विचार कर रहे हैं, जिससे उन्हें जेब पर भारी बोझ उठाना पड़ रहा है।

आस्था बनाम अवसरवादिता

हर साल लाखों लोग बाबा केदारनाथ के दर्शन के लिए हिमालय की कठिन यात्रा तय करते हैं। लेकिन अगर इस पवित्र यात्रा में भी एजेंटों की कालाबाज़ारी और सिस्टम की कमजोरी हावी हो जाए, तो यह श्रद्धालुओं की आस्था के साथ बड़ा धोखा है।अब देखना ये है कि प्रशासन इस मामले को कितनी गंभीरता से लेता है और क्या वाकई इस ‘खेल’ पर लगाम लगाने के लिए कोई ठोस कदम उठाए जाते हैं या नहीं।

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