“ग्राम पंचायतों के प्रदर्शन में उत्तराखंड फिसला, केंद्र सरकार की रैंकिंग में हुआ खुलासा”

उत्तराखंड की ग्राम पंचायतों के विकास और कार्यप्रणाली को लेकर एक बार फिर चिंताजनक तस्वीर सामने आई है। केंद्रीय पंचायतीराज मंत्रालय द्वारा हाल ही में जारी की गई पंचायती राज परफॉर्मेंस इंडेक्स (PAI) रैंकिंग में उत्तराखंड को अपेक्षित स्थान नहीं मिल पाया है। यह रैंकिंग देश भर की ग्राम पंचायतों के कामकाज, पारदर्शिता, योजना क्रियान्वयन, वित्तीय प्रबंधन और जन भागीदारी जैसे अहम मानकों पर आधारित होती है, जिसमें उत्तराखंड की पंचायतें कई मापदंडों पर पीछे रह गई हैं।रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराखंड की अधिकांश ग्राम पंचायतें आधुनिक डिजिटल प्रणाली, पारदर्शी कार्यप्रणाली और प्रभावी योजना क्रियान्वयन जैसे क्षेत्रों में पिछड़ती नजर आई हैं। पंचायतों में ग्राम विकास योजनाओं का समुचित क्रियान्वयन नहीं हो रहा है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में रुकावटें आ रही हैं। रिपोर्ट यह भी दर्शाती है कि पंचायतों में प्रशिक्षण प्राप्त कर्मियों की कमी, फंड के सीमित उपयोग, और तकनीकी संसाधनों की भारी कमी जैसे कारण इस गिरावट के लिए जिम्मेदार हैं।यह स्थिति इसलिए भी चिंताजनक है क्योंकि उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य में स्थानीय शासन तंत्र यानी ग्राम पंचायतें ही ग्रामीण विकास की रीढ़ होती हैं। यदि यही प्रणाली कमजोर हो, तो गांवों तक योजनाओं का प्रभावी लाभ नहीं पहुंच पाता। पंचायतों की इस खराब रैंकिंग से यह स्पष्ट हो गया है कि राज्य में स्थानीय प्रशासनिक व्यवस्थाओं को और अधिक मजबूत करने की जरूरत है।केंद्र सरकार द्वारा जारी की गई PAI रिपोर्ट का मकसद है राज्यों को ग्राम पंचायत स्तर पर सुधार के लिए प्रोत्साहित करना, और प्रदर्शन के आधार पर संसाधनों का आवंटन भी इसी के तहत किया जाता है। इसलिए उत्तराखंड के लिए यह रिपोर्ट एक चेतावनी की तरह है कि यदि पंचायत स्तर पर सुधार नहीं हुआ तो भविष्य में केंद्र से मिलने वाले फंड और योजनाओं पर भी असर पड़ सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि उत्तराखंड को पंचायत स्तर पर बेहतर प्रदर्शन करना है, तो उसे तकनीकी सशक्तिकरण, प्रशिक्षण कार्यक्रमों, और जवाबदेही की प्रणाली को मजबूत करना होगा। इसके अलावा पंचायत प्रतिनिधियों और अधिकारियों को नियमित रूप से ई-गवर्नेंस, बजट प्रबंधन, और सामाजिक निगरानी जैसे पहलुओं पर प्रशिक्षित करना होगा। सरकार की ओर से भी यह संकेत दिए गए हैं कि आने वाले महीनों में पंचायतों को बेहतर बनाने के लिए एक विशेष कार्य योजना तैयार की जाएगी, जिसमें पंचायत भवनों का आधुनिकीकरण, डिजिटल रिकॉर्ड प्रणाली और कार्यप्रणाली की निगरानी जैसे तत्व शामिल होंगे। इस रिपोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि उत्तराखंड की ग्राम पंचायतें विकास की दौड़ में अभी पीछे हैं, लेकिन अगर समय रहते सुधारात्मक कदम उठाए गए, तो न सिर्फ इनकी स्थिति सुधरेगी, बल्कि राज्य की समग्र ग्रामीण विकास योजनाओं को भी गति मिलेगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Notice: ob_end_flush(): failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home1/theindi2/public_html/wp-includes/functions.php on line 5464