
उत्तराखंड में जजों की चयन परीक्षा में कोई भी अभ्यर्थी पास नहीं, तीन पदों के लिए 42 वकीलों ने दी थी परीक्षा
उत्तराखंड में न्यायिक सेवा (जज) की चयन परीक्षा ने सभी को हैरान कर दिया है, क्योंकि इस बार की परीक्षा में तीन खाली पदों के लिए परीक्षा देने वाले 42 वकीलों में से एक भी अभ्यर्थी पास नहीं हो पाया। यह परिणाम राज्य के न्यायिक सिस्टम के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ है और चयन प्रक्रिया में कुछ खामियों की ओर इशारा करता है।
परीक्षा में कोई सफलता नहीं
उत्तराखंड में तीन न्यायिक पदों के लिए चयन प्रक्रिया के तहत परीक्षा आयोजित की गई थी। इन पदों के लिए कुल 42 वकीलों ने आवेदन किया था और वे परीक्षा में शामिल हुए थे। हालांकि, परिणामों ने सभी को चौंका दिया जब यह स्पष्ट हुआ कि कोई भी उम्मीदवार इस कठिन परीक्षा को पास नहीं कर सका। यह घटना खासतौर पर इसलिए चौंकाने वाली है, क्योंकि ऐसी स्थिति पहले कभी नहीं आई थी, जब इतने बड़े संख्या में उम्मीदवारों में से कोई भी चयनित न हुआ हो।
परीक्षा की कठिनाई पर उठे सवाल
इस नतीजे के बाद से कई सवाल उठ रहे हैं, जिसमें सबसे बड़ा सवाल परीक्षा की कठिनाई स्तर को लेकर है। क्या परीक्षा की कठिनाई इतनी ज्यादा थी कि योग्य वकील भी इसे पार नहीं कर सके? क्या चयन प्रक्रिया में कोई ऐसी खामियां थीं, जिनके कारण उम्मीदवारों को सफलता प्राप्त नहीं हो पाई? इन सवालों का जवाब अभी तक साफ नहीं हो पाया है।विशेषज्ञों का कहना है कि न्यायिक सेवा की परीक्षा का स्तर बहुत उच्च होता है, लेकिन इस बार कुछ उम्मीदवारों का मानना है कि परीक्षा में कुछ ऐसे तकनीकी पहलू भी थे जो सामान्य उम्मीदवार के लिए कठिन थे।
क्या आगे की प्रक्रिया में बदलाव होगा?
अब इस निराशाजनक परिणाम के बाद राज्य न्यायिक सेवा के अधिकारियों ने इसे लेकर समीक्षा शुरू कर दी है। न्यायिक चयन प्रक्रिया में सुधार की संभावनाओं पर भी विचार किया जा सकता है। कुछ जानकारों का मानना है कि आगामी परीक्षाओं में परीक्षा के स्तर में संतुलन लाने के लिए कुछ बदलाव किए जा सकते हैं, ताकि योग्य उम्मीदवारों को मौका मिले और चयन प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता आए।
न्यायिक क्षेत्र में कमी और जरूरत
यह परिणाम उत्तराखंड के न्यायिक क्षेत्र में वक़्त की जरूरत को और अधिक उजागर करता है। राज्य में न्यायिक पदों की कमी एक लंबे समय से महसूस की जा रही है, और अब यह परिणाम इस दिशा में और भी चिंता बढ़ाता है। न्यायाधीशों की कमी के कारण राज्य में लंबित मामलों की संख्या भी बढ़ रही है, और न्यायिक प्रणाली पर दबाव लगातार बढ़ रहा है।
अब क्या होगा?
राज्य के न्यायिक अधिकारियों ने इस मामले में जल्द ही एक बैठक बुलाई है, जहां चयन प्रक्रिया की समीक्षा और आगे की योजना बनाई जाएगी। इस परिणाम को देखते हुए, यह संभावना जताई जा रही है कि आने वाले समय में चयन प्रक्रिया में सुधार करने के लिए कुछ नए कदम उठाए जा सकते हैं, ताकि अधिक उम्मीदवारों को सफलता मिले और राज्य की न्यायिक सेवा में योग्य उम्मीदवारों की नियुक्ति हो सके।यह परिणाम न केवल उत्तराखंड के न्यायिक क्षेत्र के लिए एक चुनौती है, बल्कि यह अन्य राज्यों के लिए भी एक उदाहरण पेश करता है कि न्यायिक सेवा चयन की प्रक्रिया को और भी पारदर्शी और प्रभावी बनाने की जरूरत है।