
रॉबर्ट वाड्रा, कांग्रेस नेता और प्रियंका गांधी के पति, को एक बार फिर ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) के समक्ष पेश होना पड़ा, इस बार जमीन सौदे मामले में। यह मामला पिछले कुछ सालों से सुर्खियों में है, जिसमें वाड्रा पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने गलत तरीके से जमीन खरीदी और उसे अवैध रूप से बेचा। हालांकि, वाड्रा ने इन आरोपों को हमेशा खारिज किया है और उन्हें राजनीतिक साजिश बताया है। हाल ही में, जब ईडी ने उन्हें इस मामले में पूछताछ के लिए बुलाया, तो उन्होंने वहां जाकर अपना बयान दर्ज कराया। ईडी के सामने पेशी के दौरान रॉबर्ट वाड्रा ने अपने ऊपर लगे आरोपों को बेबुनियाद बताया और कहा कि यह सब राजनीतिक साजिश का हिस्सा है। वाड्रा ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “यह केवल मेरे खिलाफ नहीं, बल्कि पूरे देश में जनभावनाओं को दबाने की एक कोशिश है। यह राजनीति से प्रेरित आरोप हैं, और मुझसे जुड़े सभी मामलों का उद्देश्य केवल जनता की आवाज को दबाना है।” उन्होंने यह भी कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों का कोई ठोस आधार नहीं है और वे इसके खिलाफ कानूनी रूप से लड़ाई लड़ेंगे। रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ यह मामला कई सालों से चल रहा है, और इसके संबंध में उन्हें कई बार ईडी और अन्य जांच एजेंसियों से समन भेजे गए हैं। आरोपों के मुताबिक, वाड्रा ने कुछ जमीन सौदों में गड़बड़ी की थी और इसमें भ्रष्टाचार के तत्व शामिल थे। हालांकि, वाड्रा ने हमेशा अपने खिलाफ आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया है और कहा है कि यह सिर्फ उनका नाम खराब करने के लिए किया जा रहा है। वाड्रा के इस बयान ने राजनीति में हलचल मचा दी है। उनके समर्थकों का कहना है कि यह सब राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा है, जबकि विपक्षी दलों का आरोप है कि यह सिर्फ सत्य को छुपाने का एक प्रयास है। वाड्रा के मामले को लेकर कांग्रेस पार्टी ने भी इसे एक साजिश करार दिया है और कहा है कि बीजेपी सरकार उनके खिलाफ अन्यायपूर्ण तरीके से कार्यवाही कर रही है। वहीं, बीजेपी ने इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के रूप में पेश किया है, जिसमें वाड्रा को अपने किए की सजा मिलनी चाहिए। रॉबर्ट वाड्रा की ईडी के सामने पेशी को लेकर राजनीतिक गलियारों में बहस तेज हो गई है। कई विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला केवल एक व्यक्तिगत विवाद नहीं है, बल्कि यह देश की राजनीति में शक्ति संघर्ष और भ्रष्टाचार विरोधी लहर का हिस्सा बन चुका है। वाड्रा का कहना है कि वे इस मामले में अपना पक्ष स्पष्ट करेंगे और न्याय की मांग करेंगे।यह मामला अब एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन चुका है और इसके परिणाम केवल वाड्रा और उनके परिवार तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि यह पूरे देश के लिए एक उदाहरण बन सकता है कि किस तरह राजनीतिक और कानूनी संघर्षों को एक साथ सुलझाया जाता है। वाड्रा ने यह भी कहा कि जनता को उनका समर्थन मिलेगा और इस प्रकार की कार्रवाई उनके खिलाफ नहीं, बल्कि लोकतंत्र के खिलाफ है।इस बीच, इस मामले को लेकर ईडी और सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन जांच एजेंसी ने वाड्रा से पूछताछ जारी रखने का संकेत दिया है। आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि वाड्रा के खिलाफ किस तरह की कार्रवाई होती है और इस मामले की जांच किस दिशा में आगे बढ़ती है।