
कोलकाता। वक्फ कानून को लेकर ताजा राजनीतिक हलचल के बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए एक बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा कि वक्फ कानून के बाद मोदी सरकार का अगला कदम कुछ और हो सकता है, जो देश की धर्मनिरपेक्षता और संविधान के खिलाफ होगा। ममता बनर्जी ने इस मुद्दे को लेकर स्पष्ट बयान दिया और मोदी सरकार की योजनाओं को लेकर चिंता जताई।ममता ने कहा, “वक्फ कानून को लेकर मोदी सरकार की मंशा साफ दिख रही है, और अब हमें यह समझने की जरूरत है कि उनके अगले कदम क्या होंगे। यदि यही सिलसिला चलता रहा, तो हम देख सकते हैं कि सरकार और भी ऐसे कानून लाएगी जो समाज के विभिन्न वर्गों को बांटने का काम करेंगे।” उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की ये योजनाएँ भारतीय संविधान और धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ हो सकती हैं, जो देश की अखंडता और सौहार्द को नुकसान पहुंचाएंगी।
वक्फ कानून का तात्पर्य और ममता की चिंता
वक्फ कानून, जिसे हाल ही में सरकार ने संशोधित किया, धार्मिक और समाजिक उद्देश्यों के लिए मुस्लिम समुदाय की संपत्तियों के प्रबंधन और उपयोग को लेकर एक बड़ा कदम माना जा रहा है। सरकार का दावा है कि यह कानून मुस्लिम समुदाय के वक्फ संपत्तियों के उचित प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिए लाया गया है, लेकिन ममता ने इस कानून को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। उनका मानना है कि यह कानून खासकर धार्मिक और सांस्कृतिक परिपेक्ष्य में देश के विविधता को खतरे में डाल सकता है।ममता ने आगे कहा, “वह सिर्फ एक समुदाय को टार्गेट कर रहे हैं। इसका उद्देश्य समाज के सभी वर्गों के बीच खाई बढ़ाना है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि इस कानून से धार्मिक स्वतंत्रता को बाधित करने की कोशिश की जा रही है। ममता ने मोदी सरकार से यह सवाल भी किया कि यदि यह कानून सही है, तो क्यों उसे इतनी गोपनीयता में पारित किया गया और क्यों संसद में इस पर ज्यादा चर्चा नहीं की गई।
क्या है ममता की चिंता?
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मुख्य चिंता यह है कि यह वक्फ कानून न सिर्फ एक धार्मिक समुदाय के अधिकारों को प्रभावित करेगा, बल्कि इससे दूसरे समुदायों के अधिकारों पर भी असर पड़ेगा। ममता ने यह आरोप भी लगाया कि सरकार लगातार ऐसी नीतियाँ लागू कर रही है जो भारतीय समाज को धार्मिक आधार पर बांटने का काम कर रही हैं। उन्होंने उदाहरण के तौर पर नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) का जिक्र किया, जिन्हें लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए थे।इसके अलावा, ममता बनर्जी ने यह भी चेतावनी दी कि यदि मोदी सरकार की ऐसी योजनाएँ जारी रही, तो पश्चिम बंगाल इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देगा। उनका कहना था, “हमने हमेशा धर्मनिरपेक्षता और समानता की पक्षधरता की है। हम मोदी सरकार को ऐसे कानूनों को लागू करने की इजाजत नहीं देंगे जो समाज में विघटन पैदा करें।”
मोदी सरकार की प्रतिक्रिया
वहीं, मोदी सरकार ने ममता बनर्जी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि वक्फ कानून को लागू करने का उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ उन संपत्तियों का सही प्रबंधन सुनिश्चित करना है, जो समाज के गरीब और जरूरतमंद वर्ग के कल्याण के लिए उपयोग होनी चाहिए। सरकार का यह भी कहना है कि यह कानून किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह पूरे देश के सामाजिक और सांस्कृतिक समरसता को बढ़ावा देने के लिए लाया गया है।
क्या होगी अगली रणनीति?
ममता के आरोपों और सरकार की प्रतिक्रिया के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि मोदी सरकार आगे किस दिशा में कदम उठाती है। क्या वक्फ कानून के बाद सरकार अन्य ऐसे कानूनों की दिशा में बढ़ेगी, जिनसे समाज में और अधिक बंटवारा हो, या फिर वह इस पर पुनः विचार करेगी? इस सवाल का जवाब तो समय ही दे पाएगा, लेकिन ममता की चिंता यह है कि अगर इस दिशा में और कदम उठाए गए, तो इससे देश के ताने-बाने को बड़ा नुकसान हो सकता है।समाप्ति में यह कहा जा सकता है कि वक्फ कानून और इसके बाद के घटनाक्रम भारतीय राजनीति और समाज पर गहरे प्रभाव छोड़ सकते हैं। ममता बनर्जी ने जो चिंता व्यक्त की है, वह सिर्फ पश्चिम बंगाल तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे देश की एकता और अखंडता से जुड़ा हुआ मुद्दा बन सकता है।