“उत्तराखंड का आइस रिंक बनेगा फिर गुलजार, अमेरिकी एक्सपर्ट्स की देखरेख में तैयारियां”

महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज, देहरादून, में 13 साल से बंद पड़े आइस स्केटिंग रिंक को फिर से सक्रिय करने की प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर पार हो चुका है। अब तक की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं और रिंक की मैन्युअल टेस्टिंग भी सफलतापूर्वक पूरी कर ली गई है। इस महत्वपूर्ण कार्य को अंतिम रूप देने के लिए एक विशेष इंजीनियरों की टीम देहरादून पहुंच चुकी है, जिनमें कनाडा और संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए) के विशेषज्ञ शामिल हैं।इस परियोजना में विशेष भूमिका निभा रहे इंजीनियरों ने पहले वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से स्पोर्ट्स कॉलेज की मशीनरी को ठीक करने में अहम योगदान दिया था। अब, वे स्वयं देहरादून में मौजूद हैं, जहां वे रिंक को फिर से शुरू करने के अंतिम चरण में मदद कर रहे हैं। इन इंजीनियरों में कनाडा के आर्थर गिलवर्ट सुदरलैंड और चार्ल्स रिजर्ड ओवन प्रमुख हैं, जिनका इस परियोजना में बड़ा योगदान रहा है। दोनों इंजीनियर पहले रिंक की तकनीकी समस्याओं का समाधान कर चुके हैं, और अब इसे पूरी तरह से तैयार करने के लिए देहरादून पहुंचे हैं।

मशीनरी की मरम्मत और कंप्रेसर की स्थिति
इसके पहले, रिंक की मशीनरी में कुछ मोटरें ठप हो गई थीं, जिनकी मरम्मत संबंधित कंपनी की मदद से की गई थी। अब रिंक की नीचे तीन कंप्रेसर स्थापित हैं, जिनका कार्य बर्फ की परत जमाना है। इनमें से दो कंप्रेसर पूरी तरह से कार्यरत रहेंगे, जबकि एक कंप्रेसर स्टैंडबाई पर रहेगा। इंजीनियरों का कहना है कि रिंक के लिए लगभग एक सप्ताह का कार्य बाकी है, और इसके बाद इसे पूरी तरह से चलाने के लिए तैयार कर लिया जाएगा।

प्रमुख विशेषज्ञों का योगदान
इस परियोजना में कनाडा के आर्थर गिलवर्ट सुदरलैंड और चार्ल्स रिजर्ड ओवन के अलावा एक अन्य महत्वपूर्ण योगदान कनाडा के वेंकटेशन थंगराज का है, जो पिछले 17 वर्षों से यूएसए में आइस स्केटिंग खेल रहे हैं। वेंकटेशन थंगराज एक एनआरआई विशेषज्ञ हैं, जो आइस स्केटिंग के क्षेत्र में अपनी अनुभव और विशेषज्ञता के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने खुद को इस परियोजना में विशेष रूप से शामिल किया और रिंक की पुनर्निर्माण प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

खेलों और पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
यह परियोजना केवल देहरादून के आइस स्केटिंग प्रेमियों के लिए नहीं, बल्कि पूरे उत्तराखंड के लिए एक वरदान साबित हो सकती है। आइस स्केटिंग रिंक के पुनः संचालन से न केवल स्थानीय खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधाएं मिलेंगी, बल्कि बर्फीले खेलों की ओर लोगों का रुझान भी बढ़ेगा। इसके अलावा, इस रिंक के खुलने से उत्तराखंड में पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। पर्यटक जो आइस स्केटिंग जैसे साहसिक खेलों में रुचि रखते हैं, उनके लिए यह रिंक एक प्रमुख आकर्षण बन सकता है। राज्य सरकार और संबंधित अधिकारियों का कहना है कि इस परियोजना के पूरा होने से उत्तराखंड को बर्फीले खेलों के क्षेत्र में एक नई पहचान मिलेगी। राज्य में पहले से ही पहाड़ी क्षेत्रों का आकर्षण है, और अब इस रिंक के माध्यम से आइस स्केटिंग जैसे खेलों का लोकप्रिय होना इस क्षेत्र को और भी अधिक प्रचलित करेगा।आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि रिंक के संचालन से स्थानीय युवाओं को भी इस खेल में अपना करियर बनाने का अवसर मिलेगा। यह परियोजना राज्य में खेलों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पर्धाओं के लिए भी एक उपयुक्त मंच तैयार करेगी।कुल मिलाकर, इस आइस स्केटिंग रिंक की बहाली से देहरादून और उत्तराखंड के बर्फीले खेलों के भविष्य को एक नई दिशा मिलेगी, और यह राज्य के खेल और पर्यटन क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।

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