“चारधाम यात्रा में इस बार बच्चों का भी जोश, 0 से 15 वर्ष तक एक लाख से ज्यादा पंजीकरण”

उत्तराखंड की प्रसिद्ध चारधाम यात्रा हर वर्ष श्रद्धालुओं की आस्था और भक्ति का सबसे बड़ा संगम मानी जाती है। इस बार यात्रा को लेकर जो आंकड़े सामने आए हैं, वह बेहद खास और चौंकाने वाले हैं। दरअसल, 2025 की चारधाम यात्रा के लिए 0 से 15 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों के एक लाख से अधिक पंजीकरण हो चुके हैं। यह पहली बार है जब इतनी बड़ी संख्या में नन्हें श्रद्धालु भी भगवान बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के दर्शन को तैयार हैं। यात्रा पंजीकरण की आधिकारिक रिपोर्ट के अनुसार, अब तक कुल लाखों की संख्या में रजिस्ट्रेशन हो चुके हैं, जिनमें छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक सभी शामिल हैं। खास बात यह है कि छोटे बच्चों के इतने अधिक पंजीकरण ने प्रशासन और स्थानीय व्यवस्था को भी चौंका दिया है। आमतौर पर इस दुर्गम यात्रा में बुजुर्ग और युवा अधिक संख्या में भाग लेते हैं, लेकिन इस बार बच्चों का भी उत्साह देखने लायक है। चारधाम यात्रा 2025 के लिए पंजीकरण प्रक्रिया अप्रैल की शुरुआत में शुरू हुई थी और पहले ही हफ्ते में हजारों लोगों ने रजिस्ट्रेशन करवा लिया था। इसके बाद धीरे-धीरे बच्चों के लिए भी भारी संख्या में पंजीकरण हुए। प्रशासन ने भी इस बार बच्चों और बुजुर्गों के लिए यात्रा मार्ग पर अतिरिक्त सुविधाओं और चिकित्सा व्यवस्थाओं का प्रबंध करने की योजना बनाई है। धार्मिक आस्था का यह ज्वार इस बार सभी उम्र की सीमाओं को पार कर रहा है। बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम की यात्रा न केवल आध्यात्मिक शांति देती है, बल्कि प्रकृति के अद्भुत सौंदर्य का अनुभव भी कराती है। ऐसे में अब माता-पिता अपने छोटे बच्चों को भी इन पवित्र धामों के दर्शन के लिए लेकर आ रहे हैं।स्थानीय प्रशासन ने बताया कि बच्चों की बड़ी भागीदारी को देखते हुए यात्रा मार्गों पर चिकित्सा शिविर, मोबाइल हेल्थ यूनिट, और प्राथमिक उपचार केंद्र बढ़ाए जा रहे हैं। साथ ही सुरक्षा व्यवस्था भी कड़ी की जा रही है। मौसम विभाग द्वारा जारी एडवाइजरी के अनुसार, बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए यात्रा के दौरान सावधानी बरतने की भी अपील की गई है। चारधाम यात्रा के प्रति इस तरह का उत्साह यह दर्शाता है कि भक्ति, आस्था और श्रद्धा में उम्र की कोई सीमा नहीं होती। इस वर्ष यात्रा के दौरान बच्चों का हर्षोल्लास और उनकी मासूम श्रद्धा भी यात्रियों और धामों में एक अलग ही माहौल बनाएगी।धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यटन के लिहाज से भी यह आंकड़ा बेहद अहम है। पर्यटन विभाग इसे राज्य की धार्मिक पर्यटन छवि के लिए सकारात्मक संकेत मान रहा है। अनुमान है कि इस वर्ष कुल यात्रियों की संख्या बीते वर्षों की तुलना में कई गुना अधिक होगी।यात्रा के शुभारंभ की तैयारियां अपने अंतिम चरण में हैं। श्रद्धालुओं के लिए यात्रा मार्ग पर पेयजल, स्वास्थ्य, विश्राम स्थल, ट्रैफिक मैनेजमेंट और भंडारे की व्यवस्था को अंतिम रूप दिया जा रहा है। चारधाम यात्रा न केवल एक धार्मिक यात्रा है, बल्कि उत्तराखंड की संस्कृति और लोक जीवन की धड़कन भी है।इस बार बच्चों की भागीदारी ने इस यात्रा को और भी विशेष बना दिया है।

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