
पंजाब के गुरदासपुर जिले में पुलिस ने एक महत्वपूर्ण और संवेदनशील जासूसी विरोधी अभियान के तहत दो आरोपितों को गिरफ्तार कर राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता करने के गंभीर प्रयास को विफल कर दिया है। यह गिरफ्तारी ऐसे समय हुई है जब देश में आतंकवाद और जासूसी की घटनाओं को रोकने के लिए सुरक्षा एजेंसियां पूरी सतर्कता बरत रही हैं। पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) गौरव यादव ने इस गिरफ्तारी की जानकारी अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर साझा करते हुए बताया कि यह कार्रवाई ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ी गोपनीय सैन्य जानकारियों को लीक करने के आरोप में की गई है।डीजीपी गौरव यादव के अनुसार, पुलिस को एक विश्वसनीय खुफिया सूचना मिली थी जिसमें बताया गया था कि सुखप्रीत सिंह पुत्र गुरमीत सिंह निवासी आदियां और करणबीर सिंह पुत्र गुरमेल सिंह निवासी चंदूवडाला, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के साथ मिलकर ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ी महत्वपूर्ण और गोपनीय जानकारियां साझा कर रहे थे। इन जानकारियों में पंजाब, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में सेना की आवाजाही, उनकी तैनाती, साथ ही प्रमुख रणनीतिक स्थानों की डिटेल्स शामिल थीं। यह जानकारी लीक कर देश की राष्ट्रीय सुरक्षा को सीधे खतरा पहुंचाने की कोशिश की जा रही थी।पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से 3 मोबाइल फोन और 8 जिंदा कारतूस (30 बोर) भी बरामद किए हैं। आरोपितों के मोबाइल फोन की फॉरेंसिक जांच में यह पुष्टि हुई है कि वे आईएसआई संचालकों के सीधे संपर्क में थे और लगातार भारतीय सशस्त्र बलों की संवेदनशील सूचनाओं को विदेशी खुफिया एजेंसी को भेज रहे थे।पुलिस ने तुरंत कड़ी कार्रवाई करते हुए दोनों आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के बाद उनके खिलाफ थाना दोरांगला में भारतीय दंड संहिता की गोपनीयता अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। फिलहाल मामले की जांच जारी है और जांच अधिकारियों का मानना है कि इस केस में और भी कई अहम खुलासे हो सकते हैं जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण हैं।यह गिरफ्तारी न केवल पंजाब बल्कि पूरे देश के लिए एक बड़ी सफलता मानी जा रही है, क्योंकि यह स्पष्ट करती है कि भारत की सुरक्षा एजेंसियां लगातार चौकस हैं और देश की रक्षा के लिए हर प्रकार के खतरों को पहचानकर उन्हें समय रहते बेअसर कर रही हैं। डीजीपी गौरव यादव ने जनता से भी अपील की है कि वे किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना सुरक्षा एजेंसियों को दें ताकि इस प्रकार की सुरक्षा चुनौतियों से निपटा जा सके।यह मामला एक बार फिर से यह साबित करता है कि आतंकवाद और जासूसी जैसी गतिविधियां निरंतर सक्रिय हैं और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जरूरत है। देश की सुरक्षा के लिए ऐसी हरकतों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और जिम्मेदार व्यक्तियों को कानून के दायरे में लाया जाएगा।