
उत्तराखंड के पूर्व मंत्री और वरिष्ठ नेता हरक सिंह रावत की संपत्ति के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा जारी कुर्की आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी गई है। यह रोक एक न्यायिक प्रक्रिया के तहत आई है, जिससे उनके अधिकार सुरक्षित रहते हुए मामले की निष्पक्ष जांच सुनिश्चित की जा सके।
प्रवर्तन निदेशालय ने भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के संदेह में हरक सिंह रावत की कई संपत्तियों को कुर्क करने का आदेश जारी किया था। हालांकि, रावत ने इस आदेश को चुनौती दी और उच्च न्यायालय में अर्जी लगाई कि कुर्की का आदेश अवैध और अनुचित है। उन्होंने कहा कि जांच प्रक्रिया पूरी होने तक उनकी संपत्ति कुर्क नहीं की जानी चाहिए, क्योंकि इससे उनका अधिकार प्रभावित हो सकता है।
न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद फिलहाल कुर्की आदेश पर रोक लगाने का फैसला किया है। कोर्ट ने कहा कि जांच एजेंसियों को अपनी जांच पूरी करने का पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए, लेकिन साथ ही किसी भी व्यक्ति के अधिकारों का भी संरक्षण होना जरूरी है।
हरक सिंह रावत का कहना है कि वह जांच में पूरी तरह से सहयोग कर रहे हैं और उनका उद्देश्य केवल न्याय की प्रक्रिया को सही दिशा में ले जाना है। उनका यह भी कहना है कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों द्वारा इस मामले को भड़काने की कोशिश की जा रही है।
प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने भी कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हुए कहा है कि वे जांच को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाए रखने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं। जांच में यदि कोई दोष पाए गए तो उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
यह मामला उत्तराखंड के राजनीतिक और सामाजिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है, क्योंकि हरक सिंह रावत राज्य में एक प्रभावशाली और पुराने समय से सक्रिय राजनेता हैं। इस मामले की आगे की जांच और कोर्ट की सुनवाई से ही स्पष्ट होगा कि संपत्ति कुर्की के आदेश को स्थायी रूप से लागू किया जाएगा या नहीं।
मुख्य बिंदु:
- ईडी ने हरक सिंह रावत की संपत्ति कुर्की का आदेश जारी किया।
- रावत ने आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी।
- कोर्ट ने जांच पूरी होने तक कुर्की आदेश पर रोक लगाई।
- दोनों पक्षों ने अपनी दलीलें प्रस्तुत कीं।
- मामले की अगली सुनवाई तय होने तक रोक लागू रहेगी।