
नई दिल्ली: भारत और अमेरिका के बीच वर्षों से लंबित व्यापार समझौते को लेकर बड़ी प्रगति देखने को मिल रही है। सूत्रों के अनुसार, दोनों देशों के बीच एक अंतरिम व्यापार समझौता 25 जून 2025 तक तय किया जा सकता है। वाणिज्य मंत्रालय और अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधियों के बीच चल रही गहन वार्ताओं ने अब सकारात्मक मोड़ ले लिया है, और बातचीत अब निर्णायक चरण में पहुँच गई है।
भारत और अमेरिका, दोनों ही देश व्यापारिक मोर्चे पर एक-दूसरे के महत्वपूर्ण साझेदार हैं। दोनों देशों के बीच कुल द्विपक्षीय व्यापार 2023-24 में करीब 192 अरब डॉलर को पार कर गया था, और यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। हालांकि, व्यापार संतुलन, शुल्क दरें, कृषि उत्पादों तक पहुंच, ई-कॉमर्स नीति और डिजिटल व्यापार जैसे मुद्दों को लेकर दोनों देशों के बीच लंबे समय से बातचीत चल रही थी।
सूत्रों का कहना है कि इस अंतरिम व्यापार समझौते में कई प्रमुख क्षेत्रों को शामिल किया जा सकता है, जैसे कि कृषि उत्पादों पर आयात शुल्क में कटौती, डेटा लोकलाइजेशन के कुछ प्रावधानों पर लचीलापन, फार्मा और मेडिकल उपकरणों के व्यापार में सहूलियत, और इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के टैक्स स्लैब में संतुलन।
इस समझौते की खास बात यह होगी कि यह एक पूर्ण मुक्त व्यापार समझौता (FTA) नहीं होगा, बल्कि यह एक “मिनी डील” के तौर पर देखा जा रहा है, जिसमें कई विवादित मुद्दों को हल कर भविष्य के बड़े समझौते के लिए ज़मीन तैयार की जाएगी।
भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की हालिया चर्चाओं में भी व्यापार संबंधों को मजबूती देने पर सहमति बनी थी। इस दिशा में तेजी से काम हो रहा है ताकि आने वाले महीनों में एक समग्र रणनीतिक और आर्थिक साझेदारी को मजबूती दी जा सके।
इस डील से भारत को अमेरिकी बाजारों में अधिक पहुंच मिलेगी, खासतौर पर टेक्सटाइल, कृषि, और आईटी सेवाओं के क्षेत्र में। वहीं अमेरिका को भी भारत में निवेश और निर्यात के नए अवसर खुलने की उम्मीद है। साथ ही दोनों देश चीन पर निर्भरता कम करने की साझा रणनीति पर भी काम कर रहे हैं, जिससे इस डील का भू-राजनीतिक महत्व और बढ़ जाता है।
यदि यह समझौता समय पर हो जाता है, तो यह न केवल भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में एक नया अध्याय खोलेगा, बल्कि वैश्विक मंच पर दोनों देशों की साझेदारी को भी और मजबूती प्रदान करेगा।