40 हजार कॉल, 800 कैमरे… फिर भी ‘वीआईपी’ कौन? अंकिता केस में अधूरी सच्चाई

ऋषिकेश/हरिद्वार:
उत्तराखंड का बहुचर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड आज भी कई अनसुलझे सवालों के घेरे में है। वनंत्रा रिजॉर्ट में काम करने वाली 19 वर्षीय अंकिता की हत्या को लेकर कई परतें उखाड़ी जा चुकी हैं, लेकिन अब भी उस ‘वीआईपी’ की पहचान सामने नहीं आ पाई है, जिसके लिए अंकिता पर ‘अतिरिक्त सेवा’ देने का दबाव बनाया जा रहा था। जांच एजेंसियों ने अब तक करीब 40 हजार मोबाइल नंबरों की लोकेशन और 800 सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली है, लेकिन वीआईपी की गुत्थी अभी तक सुलझ नहीं सकी है।

घटना से पहले अंकिता ने दी थी VIP के आने की सूचना

18 सितंबर 2022 को, घटना के दिन, अंकिता भंडारी ने अपने दोस्त पुष्पदीप को फोन कर बताया था कि पुलकित आर्य (जो वनंत्रा रिजॉर्ट का मालिक है) उस पर एक बड़े वीआईपी को ‘एक्स्ट्रा सर्विस’ देने का दबाव बना रहा है। अंकिता ने ये भी बताया कि वह इन अनैतिक गतिविधियों से बेहद परेशान है और रिजॉर्ट में कुछ गलत हो रहा है। यही आखिरी बार था जब अंकिता की किसी से बातचीत हुई।

उस रात करीब 8:30 बजे के बाद अंकिता का फोन अचानक बंद हो गया। जब पुष्पदीप ने पुलकित आर्य से संपर्क किया तो उसने जवाब दिया कि अंकिता सो रही है। अगली सुबह पुलकित आर्य का फोन भी बंद हो गया। जब पुष्पदीप ने अन्य स्टाफ से संपर्क किया, तो एक ने कहा कि वह जिम में है, तो शेफ मनवीर ने खुलासा किया कि अंकिता रात से रिजॉर्ट में नहीं है। यहीं से पुष्पदीप को शक हुआ और वह तत्काल ऋषिकेश पहुंच गया।

एसआईटी गठित, लेकिन VIP का नाम अब भी रहस्य

23 सितंबर को जब अंकिता की हत्या का मामला उजागर हुआ, तब राज्य सरकार ने विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया। डीआईजी पी. रेणुका देवी के नेतृत्व में बनी टीम ने वनंत्रा रिजॉर्ट के आसपास के 40,000 मोबाइल नंबरों की लोकेशन को खंगाला और ऋषिकेश से हरिद्वार तक 800 सीसीटीवी कैमरों की रिकॉर्डिंग की जांच की। रिजॉर्ट में आने-जाने वाले हर व्यक्ति की पहचान करने की कोशिश की गई।

टीम ने उन सभी मोबाइल लोकेशनों को ट्रेस किया जो घटना वाले समय रिजॉर्ट के आस-पास थे, और कई संदिग्धों से पूछताछ भी की गई। फिर भी, उस “वीआईपी” की पहचान नहीं हो सकी, जिसके बारे में अंकिता ने अपने दोस्त को बताया था।

SIT का निष्कर्ष और रहस्य बरकरार

डीआईजी रेणुका ने बताया कि वनंत्रा रिजॉर्ट में एक “वीआईपी सूट” था, और वहां ठहरने वाले हर मेहमान को वीआईपी कहा जाता था। ऐसे में ‘वीआईपी’ का उल्लेख सामान्य मेहमान के लिए भी हो सकता है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि वह कौन व्यक्ति था, जिसके लिए पुलकित आर्य अंकिता पर दबाव बना रहा था।

पुष्पदीप की अहम भूमिका

इस केस में अंकिता के दोस्त पुष्पदीप की भूमिका सबसे अहम रही। वह न केवल घटना से पहले अंकिता के संपर्क में था, बल्कि उसके कॉल डिटेल्स और समय रहते उठाए गए कदमों ने ही इस हत्याकांड की परतें खोलीं। पुष्पदीप ने ही पुलिस को बताया कि कैसे अंकिता ने उस दिन रिजॉर्ट में हो रहे अनैतिक कार्यों की जानकारी दी थी और बताया था कि उसे ‘VIP’ को “कुछ अतिरिक्त” देने के लिए मजबूर किया जा रहा है।पुष्पदीप ने ही ऑनलाइन सर्च के माध्यम से अंकिता के लिए वनंत्रा रिजॉर्ट में नौकरी खोजी थी। जब घटना के दिन से अंकिता का संपर्क नहीं हुआ तो वही सबसे पहले हरकत में आया और सीधे ऋषिकेश पहुंचकर मामले को उजागर करने में मदद की। अंकिता हत्याकांड ने राज्य भर को झकझोर दिया। हालांकि SIT ने कई अहम सुराग जुटाए, लेकिन ‘वीआईपी’ की गुत्थी अब तक नहीं सुलझ सकी है। सवाल यह है कि क्या किसी बड़े चेहरे को बचाया जा रहा है? क्या ‘अतिरिक्त सेवा’ की मांग महज संयोग थी या सुनियोजित दबाव? जांच पूरी हो चुकी है, लेकिन जिन सवालों के जवाब सबसे जरूरी हैं, वे अब भी अधूरे हैं। अंकिता को न्याय कब और कैसे मिलेगा – यह उत्तराखंड के हर नागरिक की अब भी प्रतीक्षा है।

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