
उत्तराखंड में पंचायत चुनावों की तैयारी अंतिम दौर में पहुंच चुकी है। प्रदेश सरकार ने हरिद्वार जिले को छोड़कर राज्य के अन्य 12 जिलों में 15 जुलाई तक त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराने का निर्णय लिया है। इसके लिए आज की कैबिनेट बैठक बेहद अहम मानी जा रही है, जिसमें संशोधित अध्यादेश का प्रस्ताव लाया जाएगा। इस प्रस्ताव के पारित होने के बाद उसे पुनः राजभवन भेजा जाएगा और साथ ही चुनाव की तिथि भी औपचारिक रूप से घोषित कर दी जाएगी।
राजभवन से लौटा था पूर्व अध्यादेश
पंचायत चुनाव कराने के लिए सरकार ने पहले एक अध्यादेश जारी किया था, लेकिन राजभवन ने उसे यह कहते हुए वापस भेज दिया कि उसमें आवश्यक स्पष्टता नहीं है। राज्यपाल की आपत्तियों में उल्लेख किया गया कि अध्यादेश को मुख्यमंत्री, संबंधित मंत्री और विधायी विभाग की स्पष्ट टिप्पणियों के साथ दोबारा प्रस्तुत किया जाए। इसी कारण सरकार को संशोधित अध्यादेश तैयार करना पड़ा, जिसे अब आज कैबिनेट के सामने रखा जाएगा।
हाईकोर्ट को दिया गया है शपथ पत्र
गौरतलब है कि उत्तराखंड सरकार ने पंचायत चुनाव 15 जुलाई तक संपन्न कराने के संबंध में हाईकोर्ट में शपथ पत्र भी दाखिल किया है, जिसके बाद सरकार पर समय सीमा में चुनाव कराने का दबाव और अधिक बढ़ गया है। इसी के मद्देनज़र आज की कैबिनेट बैठक में इस विषय पर गंभीर चर्चा और निर्णय की उम्मीद की जा रही है।
प्रशासकों का कार्यकाल हो सकता है सीमित विस्तार
वर्तमान में पंचायतों में प्रशासकों को कार्यभार सौंपा गया है, जिनका कार्यकाल पहले छह महीने तक माना जा रहा था। लेकिन अब चूंकि अगले 45 दिनों के भीतर पंचायत चुनाव कराए जाने हैं, ऐसे में प्रस्ताव है कि प्रशासकों का कार्यकाल महज डेढ़ महीने के लिए ही बढ़ाया जाए। संशोधित अध्यादेश में यह भी स्पष्ट किया जा सकता है कि किस तिथि को चुनाव की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।
आज की बैठक के बाद तय होगा अगला कदम
आज होने वाली कैबिनेट बैठक इस पूरे घटनाक्रम में निर्णायक साबित हो सकती है। कैबिनेट द्वारा अध्यादेश को मंजूरी दिए जाने के बाद उसे राजभवन भेजा जाएगा। इस अध्यादेश में राज्यपाल द्वारा पहले जताई गई आपत्तियों का समाधान भी किया गया होगा। जैसे ही यह अध्यादेश राजभवन से स्वीकृत होता है, राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा पंचायत चुनाव की तिथि और कार्यक्रम की घोषणा की जाएगी।
इस प्रकार, उत्तराखंड में स्थानीय शासन की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया जाने वाला है, जो आने वाले दिनों में ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों और जिला पंचायतों में नई जनप्रतिनिधियों की नियुक्ति का रास्ता साफ करेगा।