“थराली में गूंजा देशभक्ति का स्वर: शौर्य महोत्सव में सीएम ने तिरंगे संग दी शहीदों को श्रद्धांजलि”

उत्तराखंड के चमोली जनपद के थराली क्षेत्र में देशभक्ति, वीरता और बलिदान की भावना से ओतप्रोत तीन दिवसीय शौर्य महोत्सव का शुभारंभ ऐतिहासिक और भावनात्मक वातावरण में हुआ। अमर बलिदानी शहीद भवानी दत्त जोशी के स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई। इस दौरान भारतीय सेना के जवानों ने देशभक्ति से ओतप्रोत बैंड की धुन बजाई, जिससे पूरा वातावरण राष्ट्रप्रेम में डूब गया।

साइकिल यात्रा और दौड़ से शहीदों को नमन
महोत्सव की शुरुआत में मुंदोली राइडर्स क्लब ने मुंदोली से चेपड़ों तक साइकिल यात्रा निकालकर शहीदों को नमन किया। वहीं देवाल की प्रसिद्ध धाविका सरोजिनी कोटेड़ी ने 26 किलोमीटर की दौड़ पूरी कर शहीदों को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की, जो युवाओं को प्रेरित करने वाला एक साहसिक उदाहरण रहा।

सीएम धामी ने दी शहीदों को श्रद्धांजलि, बोले– नया भारत आत्मविश्वास से भरा है
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी, और थराली विधायक भूपालराम टम्टा विशेष रूप से मौजूद रहे। सीएम धामी ने शहीद भवानी दत्त जोशी स्मृति स्थल पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए और तिरंगा यात्रा में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। उन्होंने अपने भाषण में कहा कि “प्रदेश सरकार सैनिकों और उनके परिवारों के कल्याण के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। यह नया भारत है, जो न केवल आतंकी हमलों का जवाब देता है, बल्कि आतंक के गढ़ में घुसकर कार्यवाही करने की क्षमता भी रखता है।”

उन्होंने यह भी कहा कि आज की भारतीय सेना पहले से कहीं अधिक सशक्त और आधुनिक है। जहाँ पहले सैनिकों को आवश्यक सामग्री की कमी से जूझना पड़ता था, वहीं अब उन्हें अत्याधुनिक उपकरण उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

बलिदानी परिवारों और वीरांगनाओं का सम्मान
महोत्सव के दौरान उन अमर बलिदानियों के परिजनों और वीरांगनाओं को भी सम्मानित किया गया, जिन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने प्रियजनों को खोया। उनके त्याग को सम्मानित कर माहौल को भावनात्मक और गौरवपूर्ण बना दिया गया। शौर्य महोत्सव केवल एक सांस्कृतिक आयोजन नहीं, बल्कि उत्तराखंड की जांबाज़ परंपरा और बलिदान को सम्मान देने का पर्व बन गया है। यह आयोजन न केवल वर्तमान पीढ़ी को देशभक्ति की प्रेरणा देता है, बल्कि बलिदानियों की स्मृति को चिरस्थायी बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम भी है। थराली की धरती इस आयोजन के माध्यम से फिर एक बार वीरता की कहानी कह गई।

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