
उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव एक बार फिर अनिश्चितकाल के लिए टाल दिए गए हैं। राज्य सरकार ने चुनावों में देरी को देखते हुए हरिद्वार जिले को छोड़कर प्रदेश के सभी जिलों की ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों और जिला पंचायतों में प्रशासक नियुक्त कर दिए हैं। इसके तहत ग्राम पंचायतों में सहायक विकास अधिकारी पंचायत, क्षेत्र पंचायतों में उप जिलाधिकारी और जिला पंचायतों में जिलाधिकारी को प्रशासक नियुक्त किया गया है। शासन की ओर से इस संबंध में औपचारिक आदेश भी जारी कर दिए गए हैं।
पंचायतों का कार्यकाल पूरा, लेकिन नहीं हो पाए चुनाव
शासन द्वारा जारी आदेश में बताया गया है कि पंचायतों में प्रशासकों की नियुक्ति की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि ग्राम पंचायतों का कार्यकाल 27 मई 2025 को, क्षेत्र पंचायतों का 29 मई 2025 को और जिला पंचायतों का एक जून 2025 को समाप्त हो चुका है। हालांकि, अति अपरिहार्य परिस्थितियों के चलते पंचायत चुनाव निर्धारित समयसीमा के भीतर संपन्न नहीं कराए जा सके।ऐसे में जब तक प्रदेश में नई पंचायतों का गठन नहीं हो जाता या फिर 31 जुलाई 2025 तक (जो भी पहले हो), तब तक कार्यहित और जनहित में पंचायतों की प्रशासनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासकों की तैनाती की गई है। यह आदेश राज्य के विभागीय सचिव चंद्रेश कुमार द्वारा जारी किया गया है।
हरिद्वार को छोड़ अन्य सभी जिलों में प्रशासक नियुक्त
शासन ने स्पष्ट किया है कि हरिद्वार जिले को छोड़कर प्रदेश की सभी त्रिस्तरीय पंचायतों में प्रशासकों की नियुक्ति कर दी गई है। इससे पहले जारी अधिसूचनाओं की अन्य सभी शर्तें यथावत लागू रहेंगी। यह निर्णय पंचायतों में प्रशासनिक शून्यता को रोकने और योजनाओं व विकास कार्यों की निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है।
इतने पदों पर की गई प्रशासकों की नियुक्ति
राज्य के आंकड़ों के अनुसार, हरिद्वार जिले को छोड़कर प्रदेश की 2941 क्षेत्र पंचायतों, 12 जिला पंचायतों, और 7478 ग्राम पंचायतों में प्रशासकों की तैनाती कर दी गई है। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि पंचायतों के कार्य बाधित न हों और शासन की योजनाएं निचले स्तर तक प्रभावी ढंग से लागू होती रहें।
पंचायत चुनावों की स्थिति
उत्तराखंड में परिसीमन के बाद त्रिस्तरीय पंचायतों में व्यापक स्तर पर चुनाव होने हैं। हरिद्वार को छोड़ राज्य में अब करीब 7514 ग्राम पंचायतों, 2936 क्षेत्र पंचायतों, 343 जिला पंचायतों, और 55640 ग्राम वार्डों पर चुनाव कराए जाने हैं। परिसीमन की प्रक्रिया और कानूनी औपचारिकताओं के चलते चुनावों में देरी हो रही है, जिससे राज्य में स्थानीय स्वशासन प्रणाली की सुचारू कार्यप्रणाली प्रभावित हो रही थी।अब प्रशासकों की नियुक्ति से यह अपेक्षा की जा रही है कि पंचायत स्तर पर विकास कार्यों और प्रशासनिक जिम्मेदारियों में कोई व्यवधान नहीं आएगा।