
12 जून 2025 को अहमदाबाद से लंदन के गैटविक एयरपोर्ट के लिए रवाना हुई एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 हादसे का शिकार हो गई, जिसमें 241 लोगों की जान चली गई। इस दिल दहला देने वाली त्रासदी के बाद पूरे देश में शोक की लहर है, वहीं अब इस हादसे को लेकर राजनीतिक और सुरक्षा से जुड़े सवाल भी उठने लगे हैं।शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने इस विमान दुर्घटना को केवल तकनीकी चूक या सामान्य दुर्घटना मानने से इनकार कर दिया है। उन्होंने मुंबई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि यह एक बहुत ही गंभीर मामला है, और इसमें साइबर हमले की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने पूछा कि क्या किसी दुश्मन देश ने एयर इंडिया के विमान की प्रणाली को हैक कर यह हमला किया? राउत ने कहा, “मैं कोई विशेषज्ञ नहीं हूं, लेकिन जब एक विमान टेक-ऑफ के 30 सेकंड के भीतर दुर्घटनाग्रस्त हो जाए, तो यह सवाल उठाना लाजमी है कि क्या यह सिर्फ रखरखाव की चूक थी या कोई गहरी साजिश?”संजय राउत ने हाल ही में भारत के सैन्य प्रतिष्ठानों पर हुए साइबर हमलों की ओर इशारा करते हुए कहा कि अब दुश्मन देश डिजिटल मोर्चे पर भारत को निशाना बना रहे हैं और यह विमान हादसा भी उसी दिशा में एक बड़ा संकेत हो सकता है। उन्होंने एयर इंडिया के विमानन क्षेत्र में मौजूदा रखरखाव व्यवस्था पर भी सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि आखिर अहमदाबाद एयरपोर्ट को ही क्यों इस फ्लाइट के मेंटेनेंस के लिए चुना गया? और दुर्घटनाग्रस्त विमान का रखरखाव किस कंपनी या एजेंसी के जिम्मे था?इसके अलावा उन्होंने भाजपा पर भी हमला बोलते हुए बोइंग डील को लेकर पुराने विवादों की याद दिलाई। उन्होंने कहा कि जब यूपीए सरकार में प्रफुल्ल पटेल नागरिक उड्डयन मंत्री थे, तब भाजपा ने बोइंग डील का विरोध किया था। राउत ने यह भी कहा कि अब आम लोग हवाई यात्रा करने में डर महसूस कर रहे हैं क्योंकि विमानन क्षेत्र की सुरक्षा और मेंटेनेंस पर भरोसा उठता जा रहा है।
सरकार ने की उच्च स्तरीय बहु-विषयक समिति गठित
इस बीच, केंद्र सरकार ने विमान हादसे की गंभीरता को देखते हुए एक उच्च स्तरीय बहु-विषयक जांच समिति के गठन का ऐलान किया है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय की ओर से जारी आदेश में बताया गया है कि यह समिति हादसे के मूल कारणों की गहन जांच करेगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश भी तैयार करेगी।समिति को फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर, कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर, विमान का रखरखाव रिकॉर्ड, एटीसी लॉग, गवाहों की गवाही और अन्य सभी महत्वपूर्ण दस्तावेजों तक पूरी पहुंच दी जाएगी। इस समिति की अध्यक्षता गृह सचिव करेंगे और इसमें नागरिक उड्डयन मंत्रालय, भारतीय वायु सेना और विमानन क्षेत्र के विशेषज्ञों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।आदेश में कहा गया है कि यह समिति मौजूदा मानक संचालन प्रक्रियाओं (SOPs) की समीक्षा करेगी और अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं के आधार पर सुधारात्मक कदम सुझाएगी। समिति को तीन महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करनी होगी, जिसमें वह आपातकालीन प्रतिक्रिया, बचाव कार्य, नीति में बदलाव, ऑपरेशनल सुधार और प्रशिक्षण व्यवस्था में सुधार के उपायों की सिफारिश करेगी।
भविष्य की सुरक्षा रणनीति के लिए अहम कदम
समिति के गठन का उद्देश्य केवल इस हादसे की जांच करना नहीं है, बल्कि विमानन क्षेत्र में भविष्य की सुरक्षा रणनीति को मजबूती देना है। आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि यह समिति अन्य जांच एजेंसियों के समानांतर कार्य करेगी और इस घटना से जुड़ी सभी संभावनाओं, चाहे वह तकनीकी हो, मानव चूक हो या फिर साइबर हमला—उनकी विस्तृत जांच करेगी।संजय राउत जैसे नेताओं के बयानों और जनता की आशंकाओं को देखते हुए यह समिति एक निर्णायक भूमिका निभा सकती है। अगर यह साबित होता है कि हादसे में किसी प्रकार की डिजिटल साजिश या साइबर हमला शामिल था, तो यह भारत की आंतरिक और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक गंभीर चेतावनी साबित होगा।अब देश की निगाहें इस समिति की रिपोर्ट पर टिकी होंगी, जो न सिर्फ इस हादसे की सच्चाई उजागर करेगी बल्कि यह भी तय करेगी कि भविष्य में भारत के विमानन क्षेत्र को ऐसे हादसों से कैसे सुरक्षित रखा जाए।