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केदारनाथ हादसा: जले शरीर, पहचान के लिए सहारा बनी घड़ी और गहने – पोस्टमार्टम टीम भी रह गई स्तब्ध - The Indian Exposure

केदारनाथ हादसा: जले शरीर, पहचान के लिए सहारा बनी घड़ी और गहने – पोस्टमार्टम टीम भी रह गई स्तब्ध

उत्तराखंड के केदारनाथ में बीते 15 जून को हुए हेलिकॉप्टर हादसे ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया। आर्यन एविएशन कंपनी का हेलिकॉप्टर जब केदारनाथ से गुप्तकाशी की ओर उड़ान भरने के कुछ समय बाद ही दुर्घटनाग्रस्त हुआ, तब किसी ने नहीं सोचा था कि इस हादसे में सात लोगों की दर्दनाक मौत होगी। इस दुर्घटना ने न केवल सात परिवारों को गहरे शोक में डुबो दिया, बल्कि प्रशासन, पुलिस और मेडिकल टीम के सामने भी पहचान की एक ऐसी चुनौती खड़ी कर दी, जो हृदय विदारक थी।

शवों की पहचान बनी चुनौती, घड़ी-कंगन से खुला राज़

हादसे में मृत सात लोगों में से पांच शव इतनी बुरी तरह जल चुके थे कि उनकी पहचान करना अत्यंत कठिन हो गया था। केवल दो शव ऐसे थे जिनकी सीधी शिनाख्त संभव हो सकी, बाकी पांच शवों की पहचान के लिए परिजनों को बुलाया गया। परिजन रोते हुए शवों को बार-बार देखते रहे, किसी की कलाई में बची घड़ी, किसी की उंगली में फंसी अंगूठी, किसी के गले में जली हुई चेन या कमर में बंधी बेल्ट — यही सब उस व्यक्ति के होने की पुष्टि करने वाले अंतिम साक्ष्य बने।पायलट लेफ्टिनेंट कर्नल राजवीर सिंह चौहान की पहचान उनकी कलाई में बंधी घड़ी से हुई। महाराष्ट्र से आए यात्री राजकुमार जयसवाल और उनकी पत्नी श्रद्धा जयसवाल की पहचान उनके गहनों— गले की चेन और अंगूठियों — से की गई। इसी तरह श्रीबदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के कर्मचारी विक्रम सिंह रावत की पहचान उनकी कमर पर बंधे पारंपरिक कपड़े की बेल्ट से हुई।

पोस्टमार्टम टीम हुई स्तब्ध

जिला अस्पताल, रुद्रप्रयाग में वरिष्ठ चिकित्सक और पैथोलॉजिस्ट डॉ. मनीष कुमार के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम ने पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पूरी की। डॉक्टरों के अनुसार, इस तरह की स्थिति में पोस्टमार्टम करना बेहद संवेदनशील कार्य होता है। जले हुए अंगों के कारण शवों को पहचानना अत्यंत चुनौतीपूर्ण था। पहचान सुनिश्चित करने में फोटो, शरीर के आभूषण, चिह्न और परिजनों की ओर से मिली जानकारी ने अहम भूमिका निभाई।

नन्हीं काशी बनी संवेदना की केंद्रबिंदु

इस दर्दनाक हादसे में एक मासूम बच्ची नन्हीं काशी की भी जान चली गई। मौत के बाद भी उसका शव प्रशासन और डॉक्टरों के लिए संवेदनात्मक केंद्र बना रहा। काशी के शव को बेहद सुरक्षित तरीके से रखा गया था और उसकी देखरेख में विशेष सतर्कता बरती गई। जिलाधिकारी सौरभ गहरवार भी देर शाम अस्पताल पहुंच गए थे और स्थिति की निगरानी की।

टूटे परिवार, थमी सांसें

हादसे में मारे गए यात्रियों के परिजन पूरी तरह टूट चुके थे। रोते-रोते उनकी आंखें सूज चुकी थीं, और उनकी बातें भी कांपते होठों से निकल रही थीं। पायलट राजवीर सिंह के भाई और रिश्तेदार रुद्रप्रयाग पहुंचे। महाराष्ट्र निवासी श्रद्धा और राजकुमार जयसवाल के भाई भी सुबह तक पहुंच चुके थे।

हेलीकॉप्टर सेवा बंद, 1800 से अधिक टिकट रद्द

इस हृदय विदारक हादसे के बाद चारधाम यात्रा के तहत केदारनाथ के लिए दो दिनों तक हेलिकॉप्टर सेवाओं को बंद कर दिया गया। इस बंदी के चलते करीब 1800 से अधिक टिकट रद्द हो गए। यात्रियों को टिकट के पैसे वापस किए जा रहे हैं। कुछ यात्री निराश होकर लौट गए, जबकि कुछ ने पैदल यात्रा का विकल्प चुना।हेलिकॉप्टर सेवा नोडल अधिकारी राहुल चौबे के अनुसार, मौसम और दुर्घटनाओं के चलते इस वर्ष यात्रा शुरू होने के बाद से अब तक हजारों टिकट रद्द किए जा चुके हैं।

मुख्यमंत्री ने दिए जांच और SOP के निर्देश

इस हादसे के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हेलिकॉप्टर सेवाओं को लेकर सख्त रुख अपनाया है। उन्होंने निर्देश दिए हैं कि हेलीकॉप्टर संचालन के लिए एक सख्त स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) तैयार किया जाए। इसमें तकनीकी जांच, उड़ान से पूर्व मौसम की सटीक जानकारी और सुरक्षा मानकों का विशेष ध्यान रखा जाएगा।मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को निर्देशित किया है कि एक तकनीकी समिति गठित की जाए, जो हेलिकॉप्टर संचालन की समस्त तकनीकी और सुरक्षा पहलुओं की समीक्षा कर विस्तृत SOP तैयार करेगी। इसके अलावा, पूर्व में हुई हेलिकॉप्टर दुर्घटनाओं की पुनरवलोकन जांच कर दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।


इस हादसे ने राज्य के पर्यटन और आपातकालीन सेवाओं को लेकर नई चेतावनी दी है। जहां एक ओर परिवारों ने अपनों को खोया, वहीं राज्य सरकार अब भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं से बचने के लिए पूरी तरह सतर्कता बरतने के दिशा में कदम उठा रही है।

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