
बीते कुछ हफ्तों में भारत समेत दुनिया के कई हिस्सों में एक बार फिर कोरोनावायरस संक्रमण के मामले बढ़ने लगे हैं। मई 2025 में हांगकांग और सिंगापुर से शुरू हुई कोविड की यह नई लहर अब भारत में भी देखी जा रही है। तीन सप्ताह के भीतर देश में एक्टिव केस 7,400 से अधिक हो गए थे, जिससे स्वास्थ्य विभाग में हलचल बढ़ गई। हालांकि हाल के कुछ दिनों में राहत की खबर ये है कि संक्रमण के मामलों में गिरावट देखी जा रही है। 17 जून को एक्टिव केस घटकर 6,836 रह गए हैं, जो 15 जून को 7,383 थे। एक दिन में 1,200 से अधिक लोग संक्रमण से ठीक भी हुए हैं। हालांकि, संक्रमण के चलते तीन और लोगों की मौत भी दर्ज की गई है।
क्या फिर लौट आया है कोरोना?
हाल के दिनों में कोरोना वायरस के दो नाम—Nimbus और Stratus—सोशल मीडिया और स्वास्थ्य रिपोर्टों में तेजी से सामने आए हैं। इन दो नामों से भ्रम की स्थिति बन रही है कि क्या यह कोई नए वैरिएंट्स हैं? विशेषज्ञों की मानें तो ये नए नहीं बल्कि मौजूदा वैरिएंट्स के उपनाम हैं। “निंबस” वैरिएंट असल में NB.1.8.1, और “स्ट्राटस” वैरिएंट का वैज्ञानिक नाम XFG है। ये दोनों ही ओमिक्रॉन के सब-वैरिएंट्स हैं, जिनकी संक्रामकता दर अधिक है लेकिन गंभीरता कम मानी जा रही है।
कहां से शुरू हुए ये वैरिएंट?
वैरिएंट NB.1.8.1 को सबसे पहले दक्षिण एशियाई देशों में देखा गया था और अब भारत में इसके मामलों में वृद्धि हो रही है। दूसरी ओर, XFG यानी स्ट्राटस वैरिएंट का सबसे पहला मामला कनाडा में दर्ज किया गया था। मई के अंत तक यह वैरिएंट यूरोप के कई देशों में फैल चुका था, जहां इसके 25% तक मामले देखे गए। भारत में 11 जून को कोरोना के कुल 206 एक्टिव केस थे जो 15 जून तक 7,400 से अधिक हो गए, लेकिन अब मामलों में गिरावट आ रही है।
कितना खतरनाक है नया संकट?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने NB.1.8.1 और XFG दोनों को ही “Variant Under Monitoring” (VUM) की श्रेणी में रखा है। यानी इन पर विशेष निगरानी की आवश्यकता है, लेकिन अभी तक ये इतने घातक नहीं माने गए हैं कि “Variant of Concern” घोषित किए जाएं। WHO के अनुसार NB.1.8.1 की संक्रामकता तो अधिक है, लेकिन इससे गंभीर बीमारी या मृत्यु का खतरा कम है। XFG वैरिएंट को लेकर थोड़ी अधिक चिंता है क्योंकि इसकी संक्रमण फैलाने की रफ्तार तेज है।
विशेषज्ञों की क्या सलाह है?
डॉ. अनीश सिन्हा, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ, गांधीनगर (गुजरात) में संक्रामक रोग विशेषज्ञ हैं। उन्होंने अमर उजाला से बातचीत में कहा, “भारत जैसे बड़े आबादी वाले देश में कोरोना संक्रमण में उतार-चढ़ाव आम बात है। जरूरी ये है कि लोग लापरवाह न हों। मास्क पहनना, हाथ धोना और भीड़भाड़ से बचाव जैसे कोविड अनुरूप व्यवहार फिर से अपनाने का समय है।”
संक्रमण में तेजी और गिरावट – दोनों का संकेत
स्वास्थ्य मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक देश में संक्रमण का ट्रेंड “शार्प राइज़ एंड शार्प फॉल” वाला रहा है। यानी जितनी तेजी से केस बढ़ते हैं, उतनी ही तेजी से घट भी सकते हैं। हालांकि, चूंकि वायरस नए रूपों में म्यूटेट हो रहा है, इसलिए टीकाकरण, निगरानी और कोविड नियमों का पालन बेहद जरूरी है। ‘निंबस’ और ‘स्ट्राटस’ जैसे उपनाम वाले NB.1.8.1 और XFG वैरिएंट्स फिलहाल गंभीर नहीं माने जा रहे, लेकिन इनकी उच्च संक्रामकता से खतरे से इनकार नहीं किया जा सकता। इसलिए ज़रूरी है कि हम सतर्क रहें, अफवाहों से बचें और हर स्तर पर स्वास्थ्य दिशा-निर्देशों का पालन करें।