
ईरान और इजरायल के बीच लंबे समय से चले आ रहे तनाव के बीच अब युद्धविराम की खबर सामने आई है, जिसने अंतरराष्ट्रीय बाजार, खासकर तेल और शेयर मार्केट को राहत दी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की है कि दोनों देशों के बीच अब सीजफायर हो चुका है। इस ऐलान के बाद वैश्विक स्तर पर तनाव में कमी आने की उम्मीद बढ़ी है, जिसका सीधा असर कच्चे तेल की कीमतों और शेयर बाजार की धारणा पर देखा गया है।अंतरराष्ट्रीय क्रूड ऑयल की कीमतों में करीब 6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है, जिससे कच्चे तेल की कीमतें 70 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ गई हैं। यह गिरावट ना सिर्फ अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार बल्कि भारतीय अर्थव्यवस्था और निवेशकों के लिए भी राहत भरी मानी जा रही है। जब भी क्रूड ऑयल के दाम गिरते हैं, तो इसका सबसे पहला लाभ तेल विपणन कंपनियों—बीपीसीएल (BPCL), एचपीसीएल (HPCL), और आईओसीएल (IOCL)—को होता है। नतीजतन, इन कंपनियों के शेयरों में भारी तेजी देखी गई है।बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि यह सकारात्मक माहौल आने वाले दिनों में भारतीय शेयर मार्केट को भी प्रभावित करेगा और निवेशकों का विश्वास बहाल करेगा। एशियाई शेयर बाजारों में भी इस घटनाक्रम के बाद रौनक लौटती दिख रही है।गौरतलब है कि 23 जून की देर रात ईरान ने मिडिल ईस्ट में स्थित कई अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर मिसाइल अटैक किए थे। इस हमले के बाद विश्लेषकों को आशंका थी कि मंगलवार सुबह बाजार में भारी गिरावट आ सकती है और क्रूड ऑयल की कीमतें तेजी से ऊपर जा सकती हैं। लेकिन राष्ट्रपति ट्रंप की सीजफायर की घोषणा ने एक तरह से पूरे परिदृश्य को पलट दिया और बाजार को स्थिरता प्रदान की।इससे पहले कयास लगाए जा रहे थे कि ईरान अपने जवाबी कार्रवाई के तहत दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण कच्चे तेल के व्यापार मार्ग—‘स्ट्रेट ऑफ होरमुज़’—को बंद कर सकता है या उसमें बाधा डाल सकता है। यह जलमार्ग दुनिया भर के तेल सप्लाई का एक बड़ा हिस्सा संभालता है, और यहां किसी भी तरह की गतिविधि क्रूड ऑयल बाजार में बड़ी उथल-पुथल पैदा कर सकती थी। लेकिन ईरान ने इस बार एक अलग रणनीति अपनाई और कतर में स्थित अमेरिकी ठिकानों पर मिसाइल अटैक करके अपनी प्रतिक्रिया दर्ज कराई।ईरान की इस नियंत्रित और सीमित कार्रवाई को क्रूड ऑयल मार्केट ने एक ‘पॉजिटिव सिग्नल’ की तरह लिया है, जिससे निवेशकों का भरोसा लौटा है और बाजार में स्थिरता आई है।अंततः, इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट होता है कि अंतरराष्ट्रीय कूटनीति, सामरिक संतुलन और बाजार की प्रतिक्रिया कैसे आपस में जुड़ी हुई हैं। यदि ईरान-इजरायल सीजफायर आगे भी कायम रहता है, तो आने वाले दिनों में ईंधन की कीमतों पर भी सकारात्मक असर देखने को मिल सकता है, जो आम जनता के लिए राहत की खबर होगी।