Deprecated: Function WP_Dependencies->add_data() was called with an argument that is deprecated since version 6.9.0! IE conditional comments are ignored by all supported browsers. in /home1/theindi2/public_html/wp-includes/functions.php on line 6131
आलूखेत में फिर मंडराया खतरा: बलियानाले की तरफ दरकी पहाड़ी, भूस्खलन से घरों पर टूटा आफत का साया - The Indian Exposure

आलूखेत में फिर मंडराया खतरा: बलियानाले की तरफ दरकी पहाड़ी, भूस्खलन से घरों पर टूटा आफत का साया

बारिश की पहली बूँदों के साथ ही नैनीताल की पहाड़ियां फिर से डराने लगी हैं। जिले के आलूखेत क्षेत्र में भारी भू-स्खलन की शुरुआत हो चुकी है। यहां की पहाड़ी लगातार खिसक रही है, जिससे बलियानाले की दिशा में मिट्टी और मलबा बहता जा रहा है। इससे जहां नाले के अवरुद्ध होने का खतरा है, वहीं इलाके के कई मकानों, खेतों और यहां बने हेलीपैड पर भी गंभीर खतरा मंडराने लगा है।

भूस्खलन से तबाही का खतरा

हर साल मानसून के दौरान नैनीताल के कई क्षेत्रों—जैसे आलूखेत, खूपी, कैलाखान और भूमियाधार—में पहाड़ियां दरकती हैं, जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। इस बार भी बारिश की शुरुआत के साथ ही आलूखेत की पहाड़ी में दरारें आनी शुरू हो गई हैं। क्षेत्र के स्थानीय निवासियों के मुताबिक, मिट्टी लगातार बलियानाले की ओर गिर रही है, जिससे नाले का बहाव अवरुद्ध हो सकता है। अगर ऐसा हुआ तो पानी का जमा होना और अचानक बाढ़ जैसी स्थिति बन सकती है।

25 से 30 मकान और खेती की जमीन खतरे में

इस पहाड़ी क्षेत्र में करीब 25 से 30 आवासीय मकान हैं, जिनमें कई परिवार दशकों से रह रहे हैं। इनके अलावा यहां नाली खेती की कई एकड़ भूमि भी है जो अब कटाव और धंसाव की चपेट में है। स्थानीय लोग लगातार भय के साये में जी रहे हैं। कुछ मकानों में दरारें पड़ चुकी हैं, वहीं अन्य परिवार प्रशासन से सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करने की मांग कर रहे हैं।

हेलीपैड पर भी खतरे के बादल

गंभीर चिंता की बात यह है कि इसी दरकती पहाड़ी पर प्रशासन द्वारा बनाया गया हेलीपैड भी स्थित है। आपदा, राहत एवं बचाव अभियानों के दौरान इस हेलीपैड का उपयोग किया जाता है। लेकिन अब भू-स्खलन के चलते इस पर भी संकट गहरा गया है। यदि जल्द कार्रवाई नहीं की गई, तो किसी भी आपात स्थिति में हेलीकॉप्टर लैंडिंग असंभव हो सकती है।

भवाली रोड पर पहले भी गिर चुकी है पहाड़ी

यह कोई पहली बार नहीं है जब इस क्षेत्र में भूस्खलन हुआ है। कुछ वर्ष पूर्व आलूखेत से सटी भवाली रोड पर पहाड़ी टूटकर गिर गई थी, जिससे मार्ग कई दिनों तक बाधित रहा था। उस वक्त कैंट क्षेत्र की ओर से पहाड़ी की मरम्मत कराई गई थी, लेकिन स्थायी समाधान अब तक नहीं निकल पाया है।

समाधान की दिशा में प्रयास जारी

आलूखेत में भूस्खलन की स्थायी रोकथाम के लिए स्थानीय प्रशासन ने प्रयास तेज कर दिए हैं। इस संबंध में उत्तराखंड लैंडस्लाइड मैनेजमेंट एंड मिटिगेशन सेल (ULMMC) ने क्षेत्र का सर्वेक्षण किया है और डीपीआर (डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार करने की प्रक्रिया चल रही है। लेकिन फिलहाल, जब तक कोई स्थायी निर्माण या सुरक्षात्मक उपाय नहीं किए जाते, तब तक इस पहाड़ी क्षेत्र के लोगों की चिंता बनी रहेगी।

जनता की मांग

स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन हर बार अस्थायी कार्य करवाकर इतिश्री कर लेता है, लेकिन मानसून आते ही वही समस्या दोबारा सिर उठाने लगती है। उन्होंने सरकार और जिला प्रशासन से मांग की है कि इस बार केवल पैचवर्क या अस्थायी सुरक्षा दीवारों के बजाय वैज्ञानिक तरीके से स्थायी समाधान किया जाए, जिससे हर साल इस आपदा का डर खत्म हो सके।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home1/theindi2/public_html/wp-includes/functions.php on line 5481