Uttarakhand Politics: शादी विवाद पर फंसे भाजपा नेता, बोले- “वो भाभी जी विधायक हैं वाला सीन था”, कांग्रेस को घेरा मज़ाकिया अंदाज़ में

उत्तराखंड की सियासत इन दिनों भाजपा के पूर्व विधायक सुरेश राठौर के एक वायरल फोटो और शादी विवाद को लेकर गर्माई हुई है। उन पर दूसरी शादी करने के आरोप लगे हैं, लेकिन राठौर ने पूरे मामले को खारिज करते हुए इसे सियासी साजिश बताया है। उन्होंने एक बेहद दिलचस्प और व्यंग्यात्मक बयान देते हुए कहा कि जो फोटो वायरल हुई है, वह “भाभी जी विधायक हैं का सीन था”, यानी एक सामान्य सामाजिक प्रसंग को शादी करार देकर राजनीतिक रूप से उछाला जा रहा है।मंगलवार को सुरेश राठौर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के सरकारी आवास पर पहुंचे और कारण बताओ नोटिस का जवाब सौंपा। इसके बाद उन्होंने पार्टी के प्रदेश कार्यालय में मीडिया से मुखातिब होकर अपना पक्ष रखा। मीडिया के तीखे सवालों पर उन्होंने साफ कहा कि उन्होंने पार्टी या संगठन के खिलाफ कोई आपत्तिजनक बयान नहीं दिया है और उन पर लगाए जा रहे आरोप पूरी तरह निराधार और मनगढंत हैं।राठौर ने उल्टा सवाल दागते हुए कहा, “क्या आपने मुझे शादी करते हुए, मांग भरते हुए या वरमाला पहनाते हुए किसी वीडियो में देखा है? नहीं ना? तो फिर ये मुद्दा क्यों उठाया जा रहा है?” उन्होंने आरोप लगाया कि यह सब उनके राजनीतिक करियर को नुकसान पहुंचाने की साजिश है।इसके साथ ही राठौर ने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा, “अगर कांग्रेस को सिर्फ वीडियो ही दिखाने हैं, तो पहले अपने नेताओं के वीडियो दिखाएं। एनडी तिवारी, हरक सिंह रावत और हरीश रावत के भी वीडियो जनता को दिखाएं, ताकि असली चरित्र सामने आ सके।”पूर्व विधायक ने समान नागरिक संहिता (UCC) को लेकर भी अपना रुख स्पष्ट किया और कहा कि उन्होंने कोई उल्लंघन नहीं किया है। वे पार्टी की नीतियों का सम्मान करते हैं और हमेशा संगठन के प्रति समर्पित रहे हैं। सूत्रों की मानें तो पार्टी नेतृत्व ने उनसे इस पूरे मामले पर विस्तृत स्पष्टीकरण मांगा है। संगठन स्तर पर इस पर विचार के बाद आवश्यक कार्रवाई की जा सकती है।यह पूरा विवाद उस समय उभरा जब सुरेश राठौर की एक महिला के साथ फोटो वायरल हुई, जिसे कुछ लोगों ने दूसरी शादी का प्रमाण बताना शुरू कर दिया। हालांकि राठौर का कहना है कि वह फोटो एक सामान्य सामाजिक कार्यक्रम की थी और इसे बेवजह तूल दिया जा रहा है।उत्तराखंड की राजनीति में यह प्रकरण एक बार फिर से इस बात को उजागर करता है कि नेताओं की निजी जिंदगी भी अब सार्वजनिक बहस का विषय बन चुकी है। ऐसे मामलों से जहां विपक्ष को हमला करने का मौका मिलता है, वहीं सत्तारूढ़ पार्टी को सफाई देने और राजनीतिक नुकसान की चिंता सताने लगती है।

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