
रुद्रप्रयाग का ‘ब्लैक जून’: लगातार दूसरे साल जून बना त्रासदी का प्रतीक, आंखों में अब भी कैद हैं वो खौफनाक मंजर
रुद्रप्रयाग (संवाद न्यूज एजेंसी)।
उत्तराखंड का रुद्रप्रयाग जिला हर साल जून के महीने में कुछ ऐसा दर्द सहता है, जो न केवल स्थानीय लोगों के दिलों में जख्म छोड़ जाता है, बल्कि संपूर्ण प्रदेश को झकझोर कर रख देता है। दो साल से यह महीना इस जिले के लिए केवल कैलेंडर की एक तारीख नहीं, बल्कि त्रासदी, मौत और मातम का काला अध्याय बन चुका है — जिसे लोग अब ‘ब्लैक जून’ के नाम से पुकारने लगे हैं।
टेंपो-ट्रैवलर और हेलिकॉप्टर हादसों ने बढ़ाया दर्द
इस साल जून का महीना शुरू होते ही रुद्रप्रयाग में एक के बाद एक हादसे सामने आए। ताज़ा मामले में, गुरुवार को ऋषिकेश-बदरीनाथ हाईवे पर यात्रियों से भरा एक टेंपो-ट्रैवलर दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जो सीधा अलकनंदा नदी में समा गया। इस वाहन में एक ही परिवार के लोग सवार थे, जो पहली बार चारधाम यात्रा पर निकले थे। तीन लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है जबकि नौ लोग अब भी लापता हैं। यह हादसा तब हुआ जब यात्रा का समापन लगभग निकट था — खुशियां चीख-पुकार में बदल गईं।इससे पहले, 15 जून को आर्यन हेली कंपनी का हेलिकॉप्टर केदारनाथ से गुप्तकाशी लौटते समय गौरी माई खर्क में क्रैश हो गया। हादसे में एक मासूम बच्ची सहित सात यात्रियों की मौत हो गई। मृतकों की पहचान भी बहुत कठिन रही — अंगूठी, कंगन, चेन और घड़ी जैसी निजी वस्तुएं ही उनकी शिनाख्त का आधार बनीं।
पिछले वर्ष भी जून बना था मातम का महीना
यह पहली बार नहीं है जब रुद्रप्रयाग ने जून में इस प्रकार के भयावह दृश्य देखे हैं। पिछले वर्ष 15 जून को भी जिले के रैंतोली क्षेत्र में एक टेंपो-ट्रैवलर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। दिल्ली से चोपता-तुंगनाथ जा रहा यह वाहन नदी किनारे गिर पड़ा था, जिसमें 10 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी जबकि पांच अन्य ने एम्स ऋषिकेश में दम तोड़ दिया था।इसी वर्ष 2025 में, 7 जून को भी क्रिस्टल हेली कंपनी का एक हेलिकॉप्टर केदारघाटी के बडासू में इमरजेंसी लैंडिंग करने पर मजबूर हो गया था। सौभाग्य से पायलट और छह यात्रियों की जान बच गई, लेकिन घटनाएं एक के बाद एक लोगों के दिलों पर डर की परतें चढ़ा रही हैं।
ब्लैक जून: सवालों से घिरा पहाड़ी सफर
इन हादसों की पुनरावृत्ति ने एक बार फिर यात्रा सुरक्षा, सड़कों की हालत, ट्रैफिक नियमों के पालन और हवाई संचालन की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। खासकर चारधाम यात्रा के दौरान यातायात प्रबंधन और आपातकालीन सेवा प्रणाली की विफलताएं अब जांच के दायरे में हैं।स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकार के लिए यह चेतावनी है कि पहाड़ी मार्गों पर यात्रा का मतलब अब सिर्फ पर्यटन नहीं रहा — यह अब सुरक्षा और जीवन से जुड़ा संवेदनशील मुद्दा बन चुका है। साथ ही, पर्यटकों और स्थानीय निवासियों को भी अतिरिक्त सतर्कता की आवश्यकता है। रुद्रप्रयाग के लिए जून अब मौसम का नाम नहीं, बल्कि खौफनाक यादों का बहीखाता बन गया है। मौत के आंकड़े, बेबस परिवारों की चीखें, और बर्फ से ढके तीर्थ स्थानों पर पसरा सन्नाटा — यह सब मिलकर ‘ब्लैक जून’ की एक भयावह तस्वीर बनाते हैं, जो आने वाले वर्षों में भी लोगों के दिलों से मिटना मुश्किल है।