
ओडिशा के पुरी में आज एक बार फिर भक्ति, संस्कृति और आध्यात्मिक ऊर्जा का महापर्व देखने को मिला। भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान सुदर्शन की महान रथ यात्रा 2025 आज सुबह आरंभ हुई और दोपहर तक गुंडीचा मंदिर तक पहुँच गई, जहां नौ दिवसीय वार्षिक प्रवास का शुभारंभ हुआ। जैसे ही रथ गुंडीचा मंदिर के द्वार पर पहुँचा, जय जगन्नाथ के जयघोष और भक्ति के तरंगों से पूरा वातावरण गूंज उठा।
देश-विदेश से उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब
पुरी में इस भव्य रथ यात्रा को देखने और उसका हिस्सा बनने के लिए भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया भर से लाखों श्रद्धालु पुरी पहुँचे। पश्चिमी अफ्रीका और किर्गिस्तान जैसे देशों से आए श्रद्धालुओं ने पहली बार इस दिव्य आयोजन का अनुभव किया और कहा कि यह अनुभव अलौकिक और जीवन बदलने वाला है। एक विदेशी श्रद्धालु गौरांगी ने बताया कि वह पिछले 20 वर्षों से भारत में रह रही हैं, लेकिन इस बार रथ खींचने का सौभाग्य मिलने की उम्मीद उन्हें अत्यंत भावुक कर रही है।
गौतम अदाणी ने लिया भगवान का आशीर्वाद
अदाणी समूह के चेयरमैन गौतम अदाणी भी रथ यात्रा में सम्मिलित होने के लिए पुरी पहुँचे। उन्होंने भगवान जगन्नाथ के दर्शन के लिए गुंडीचा मंदिर की ओर प्रस्थान किया। अदाणी समूह इस दौरान पुरी धाम में प्रसाद सेवा भी कर रहा है, जो 26 जून से 8 जुलाई तक चलेगी।
प्रशासन के कड़े सुरक्षा इंतज़ाम
पुरी प्रशासन और ओडिशा पुलिस की ओर से इस वर्ष रथ यात्रा को सुरक्षित और व्यवस्थित बनाने के लिए सुरक्षा के अभूतपूर्व इंतज़ाम किए गए। अग्निशमन सेवा विभाग के डीजी सुधांशु सारंगी ने बताया कि “भगवान के आशीर्वाद से सबकुछ सामान्य और व्यवस्थित है। रथ भारी है, लेकिन श्रद्धा और व्यवस्था दोनों से उसे सफलता पूर्वक खींचा गया।”
भीड़ प्रबंधन पर सियासी आरोप
हालांकि रथ यात्रा के पहले दिन भीड़ प्रबंधन को लेकर विपक्ष ने सरकार को कटघरे में खड़ा किया। पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान नेता विपक्ष नवीन पटनायक ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा करते हुए कहा कि सरकार को सबसे पवित्र पर्व पर हुई अफरा-तफरी के लिए जवाबदेह होना चाहिए। उन्होंने लिखा, “हम आरोप नहीं लगा रहे, लेकिन सैकड़ों लोग घायल हुए, यह चिंता और नाराजगी की बात है। हम भगवान जगन्नाथ से प्रार्थना करते हैं कि जो लोग इसके लिए जिम्मेदार हैं, उन्हें माफ करें।”
साधु-संतों का आध्यात्मिक संदेश
रथ यात्रा के शुभारंभ पर जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कहा, “भगवान जगन्नाथ अपने भक्तों को दर्शन देने स्वयं बाहर आते हैं। यह दिव्य क्षण हर उस आत्मा के लिए अनमोल है जो भक्ति में लीन है।”
रथ खींचने का सौभाग्य
भगवान जगन्नाथ के रथ को खींचने का कार्य हमेशा से अत्यंत पवित्र माना जाता है। इस वर्ष भी राज्य के कानून मंत्री सहित कई गणमान्य लोगों और हजारों श्रद्धालुओं को रथ खींचने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। यह परंपरा भगवान और भक्तों के बीच के सीधे संबंध और आत्मिक जुड़ाव का प्रतीक मानी जाती है। पुरी की रथ यात्रा न केवल धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह भारत की समृद्ध संस्कृति, सामाजिक समरसता और आध्यात्मिक चेतना का प्रतीक है। इस आयोजन ने एक बार फिर यह सिद्ध किया कि जब श्रद्धा और सेवा का संगम होता है, तब हर बाधा सरल हो जाती है और दिव्यता प्रकट होती है।