
कोलकाता के साउथ कोलकाता लॉ कॉलेज में हुई एक छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म की हृदयविदारक घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। यह वारदात ना सिर्फ कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है, बल्कि समाज में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर भी गहरी चिंता पैदा करती है। वहीं इस संवेदनशील मामले में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के वरिष्ठ सांसद कल्याण बनर्जी के विवादित बयान ने आग में घी का काम किया है।
सांसद का बयान और बवाल
टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी ने अपने बयान में कहा, “अगर कोई दोस्त अपने दोस्त के साथ दुष्कर्म करता है, तो क्या किया जा सकता है? क्या स्कूलों में पुलिस तैनात की जाएगी?” उनके इस बयान को लेकर राजनीतिक गलियारों में तूफान खड़ा हो गया है।कल्याण बनर्जी ने यह भी कहा कि, “महिलाओं को इन विकृत पुरुषों के खिलाफ खुद लड़ना होगा। जब तक पुरुषों की मानसिकता नहीं बदलेगी, तब तक ये घटनाएं होती रहेंगी।” उन्होंने आरोपी के तृणमूल कांग्रेस से संबंध पर बात करने से इनकार कर दिया और कहा कि “जिसने भी यह किया है, उसे तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए।”
भाजपा का तीखा हमला
भाजपा ने टीएमसी सांसद के इस बयान को महिलाओं का अपमान बताते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी है। विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने राज्यभर में विरोध प्रदर्शन की घोषणा करते हुए पूछा कि क्या एक सांसद का यह रवैया महिलाओं की सुरक्षा पर सरकार की असफलता से ध्यान भटकाने की कोशिश नहीं है?भाजपा नेताओं ने कहा कि टीएमसी नेता दुष्कर्मियों का परोक्ष रूप से बचाव कर रहे हैं, और पीड़िता की जगह आरोपियों की मानसिकता को सामान्य बता रहे हैं। पार्टी ने कल्याण बनर्जी के वायरल वीडियो क्लिप को साझा करते हुए लिखा, “टीएमसी सांसद दुष्कर्मियों के समर्थन में सामने आए हैं। कॉलेज छात्रा के साथ उनके ही पार्टी के छात्र नेता और उसके साथियों ने गैंगरेप किया। लेकिन सांसद इस कृत्य को दोस्ताना बताकर टालने की कोशिश कर रहे हैं।”
घटना की पृष्ठभूमि
आपको बता दें कि यह मामला मनोजीत मिश्रा, जो कि टीएमसी छात्र परिषद का पूर्व अध्यक्ष और लॉ कॉलेज का अस्थायी कर्मचारी था, से जुड़ा हुआ है। उस पर और उसके दो साथियों जैब अहमद व प्रोमित मुखोपाध्याय पर एक छात्रा को गार्ड रूम में ले जाकर सामूहिक दुष्कर्म करने का आरोप है। पीड़िता ने बताया कि उसने मनोजीत के शादी के प्रस्ताव को ठुकराया था, जिसके बाद उसके साथ यह दरिंदगी हुई। मेडिकल रिपोर्ट में दुष्कर्म की पुष्टि हो चुकी है और पीड़िता का बयान न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज हो चुका है।
जनता का गुस्सा और सामाजिक चिंता
इस पूरे प्रकरण ने ना सिर्फ राज्य की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि सत्तारूढ़ दल के नेताओं के असंवेदनशील रवैये ने आम जनता के बीच गहरा रोष पैदा किया है। कल्याण बनर्जी जैसे वरिष्ठ नेता के बयान ने एक बार फिर से यह प्रश्न खड़ा कर दिया है कि क्या राजनीतिक विचारधाराएं इंसानियत और संवेदनशीलता से ऊपर हो गई हैं? जब देश की बेटियों के साथ अपराध होते हैं, तो ज़िम्मेदार पदों पर बैठे नेताओं को बयानबाज़ी नहीं, सहानुभूति, कार्रवाई और जवाबदेही दिखानी चाहिए। कोलकाता गैंगरेप कांड न सिर्फ एक कानूनी लड़ाई है, बल्कि यह सामाजिक चेतना और राजनीतिक नैतिकता की अग्नि परीक्षा भी है।