‘छांगुर बाबा’ फिर विवादों में, बलरामपुर का उतरौला बना धर्मांतरण का गढ़?

उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले के उतरौला क्षेत्र से एक बार फिर धर्मांतरण का संगठित खेल उजागर हुआ है, जिसमें मधपुर गांव निवासी जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा की गिरफ्तारी के बाद पूरे इलाके में हड़कंप मच गया है। बताया जा रहा है कि छांगुर बाबा हिंदू युवतियों को प्रेमजाल में फंसाकर उनका मतांतरण कराने वाले गिरोह का मास्टरमाइंड है। इस गिरफ्तारी के साथ ही उतरौला का नाम एक बार फिर धार्मिक उन्माद और अवैध गतिविधियों की आग में घिर गया है।


⬛️ आलीशान जीवनशैली और संदिग्ध गतिविधियां

सिर्फ दो वर्षों में छांगुर बाबा ने मधपुर गांव में लगभग तीन बीघा जमीन पर एक भव्य मकान खड़ा कर लिया था, जिसकी सुरक्षा में खूंखार कुत्ते, कटीले तार, और सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं। घर में 40 से 50 लोग रहते हैं, जो अधिकतर मतांतरण गैंग के सदस्य या उसके अनुयायी बताए जा रहे हैं। इतना ही नहीं, घर के अंदर मदरसा भी संचालित किया जा रहा था, जिसे लेकर अब एजेंसियां बारीकी से जांच में जुटी हैं।छांगुर बाबा खुद को ‘पीर’ बताकर लोगों को गुमराह करता था और उतरौला में उसने एक कपड़ों का शोरूम भी खोल रखा था। अजीब बात यह है कि उसकी दुकान सामान्य दिनों की तरह खुली रही, और रविवार को सिर्फ मुहर्रम के कारण बंद रही।


⬛️ एटीएस की रिपोर्ट में बड़े खुलासे

उत्तर प्रदेश एटीएस ने इस गिरोह की आर्थिक गतिविधियों पर नज़र डालते हुए बताया कि छांगुर बाबा और उसके नेटवर्क से जुड़े 40 से ज्यादा बैंक खातों से हर साल करोड़ों रुपये का लेन-देन होता रहा है। विदेशी फंडिंग की भी आशंका जताई गई है। इन खातों से कई बार नकद निकासी की गई है, जिससे ये सवाल उठता है कि फंडिंग कौन कर रहा था और किस उद्देश्य के लिए हो रही थी।बताया गया है कि गैंडास बुजुर्ग गांव का एक व्यक्ति छांगुर बाबा के लिए मेडिकल कॉलेज बनाने का सपना पूरा करने के लिए करोड़ों की रकम इधर-उधर कर गायब हो गया है। इस मामले में कई खाताधारक अभी तक एजेंसियों की पकड़ से बाहर हैं।


⬛️ कोतवाली से महज दो किमी दूर, फिर भी बेखौफ

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि छांगुर बाबा का घर उतरौला कोतवाली से मात्र दो किलोमीटर की दूरी पर है। इसके बावजूद वर्षों तक वह इस गैरकानूनी गतिविधि को बेखौफ अंजाम देता रहा और स्थानीय पुलिस व खुफिया एजेंसियों को भनक तक नहीं लगी। यह लापरवाही राज्य की खुफिया सुरक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा करती है।


⬛️ उतरौला का कनेक्शन पहले भी आतंकी गतिविधियों से जुड़ चुका

इससे पहले भी उतरौला अंतरराष्ट्रीय आतंक संगठनों से जुड़े मामलों में चर्चा में रहा है। 22 अगस्त 2020 को इसी इलाके के बढ़या भैसाही गांव से अबु यूसुफ उर्फ मुस्तकीम खान को आइएसकेपी (इस्लामिक स्टेट ऑफ खुरासान प्रोविंस) से संबंध रखने के आरोप में उत्तर प्रदेश एटीएस ने गिरफ्तार किया था। उस समय भी पूरा देश इस मुद्दे को लेकर चौंक गया था, क्योंकि एक शांत क्षेत्र माने जाने वाले उतरौला से आतंक का कनेक्शन सामने आया था।अब छांगुर बाबा की गिरफ्तारी ने एक बार फिर इस कस्बे को राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर ला दिया है।


⬛️ पुलिस की निष्क्रियता या मिलीभगत?

स्थानीय लोगों का कहना है कि छांगुर बाबा की गतिविधियों की भनक पड़ोसियों को भले हो, लेकिन पुलिस और खुफिया विभाग इतने सालों तक आंखें मूंदे बैठे रहे। एटीएस की कार्रवाई के बाद ही स्थानीय पुलिस सक्रिय हुई, जिससे आमजन के बीच यह भावना और गहरी हो गई है कि स्थानीय तंत्र या तो नाकाम रहा या फिर कहीं न कहीं इसमें लिप्त रहा। छांगुर बाबा का मामला केवल एक व्यक्ति की गिरफ्तारी नहीं, बल्कि धर्मांतरण, विदेशी फंडिंग, आतंकी कनेक्शन और खुफिया विफलता का जटिल जाल है। यह घटना उत्तर प्रदेश के अंदरूनी इलाकों में पनप रहे गंभीर सुरक्षा खतरों की ओर इशारा करती है। सरकार और एजेंसियों के लिए यह समय है कि इस पूरे नेटवर्क को जड़ से खत्म किया जाए, ताकि धर्म और विश्वास के नाम पर किसी युवती का जीवन खिलौना न बन सके।

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