ठाणे में गरजा मराठी स्वाभिमान, बिना अनुमति रैली पर MNS कार्यकर्ता गिरफ्तार

ठाणे, महाराष्ट्र | 9 जुलाई 2025
महाराष्ट्र के ठाणे जिले की मीरा रोड इलाके में भाषाई विवाद ने एक बार फिर तूल पकड़ लिया है। हिंदी और मराठी भाषा को लेकर बढ़ते तनाव के बीच महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के कार्यकर्ताओं ने सोमवार को प्रदर्शन किया, जिसे पुलिस ने अनुमति न होने के कारण रोक दिया और कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया


घटना की पृष्ठभूमि: हिंदी बोलने पर थप्पड़ मारने का मामला

पूरा विवाद उस समय शुरू हुआ जब सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें कथित तौर पर एक महिला ने हिंदी बोलने वाले व्यक्ति को थप्पड़ मार दिया। वीडियो में यह दावा किया गया कि महिला ने इस व्यक्ति को सिर्फ इसलिए अपमानित किया क्योंकि वह मराठी की जगह हिंदी में बात कर रहा था। इस वीडियो के सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर भाषाई असहिष्णुता और क्षेत्रीय पहचान को लेकर बहस शुरू हो गई।MNS, जो कि मराठी अस्मिता और क्षेत्रीय मुद्दों की राजनीति करती रही है, ने इस घटना को “मराठी भाषा के सम्मान के खिलाफ हमला” बताते हुए सड़कों पर उतरने का ऐलान किया था।


बिना अनुमति निकाली गई रैली, पुलिस ने रोका

सोमवार को मीरा रोड इलाके में MNS कार्यकर्ताओं ने रैली निकालने की कोशिश की, जिसके लिए पुलिस से कोई पूर्व अनुमति नहीं ली गई थी। जैसे ही रैली शुरू हुई, मौके पर मौजूद पुलिस बल ने उसे रोकते हुए कई कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया। पुलिस अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह कार्रवाई जरूरी थी।ठाणे पुलिस ने कहा कि किसी भी सार्वजनिक प्रदर्शन या जुलूस के लिए पूर्व अनुमति आवश्यक होती है और बिना इजाजत प्रदर्शन करना दंडनीय अपराध है। हिरासत में लिए गए कार्यकर्ताओं से पूछताछ की जा रही है और उनके खिलाफ कानून के तहत आगे की कार्रवाई की जाएगी।


फडणवीस ने दी सफाई, कानून तोड़ने वालों पर होगी सख्त कार्रवाई

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि,

“राज्य सरकार हर नागरिक की भाषा, संस्कृति और विचारों का सम्मान करती है, लेकिन कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई अनिवार्य है। किसी भी समूह को कानून हाथ में लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती।”उन्होंने यह भी कहा कि भाषा को लेकर समाज में तनाव फैलाना राजनीतिक लाभ के लिए की गई कोशिश हो सकती है और सरकार ऐसी किसी भी रणनीति को सफल नहीं होने देगी।


स्थानीय लोगों की मिश्रित प्रतिक्रिया

घटना को लेकर स्थानीय नागरिकों की राय बंटी हुई नजर आ रही है। कुछ लोगों ने मराठी भाषा के सम्मान की बात करते हुए MNS के रुख का समर्थन किया, तो कई लोगों ने इसे राजनीतिक स्टंट और भाषाई विभाजन को बढ़ावा देने वाला कृत्य बताया। मीरा रोड की यह घटना एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर करती है कि भाषा, जो संवाद का माध्यम होनी चाहिए, वह विवाद और राजनीति का हथियार बनती जा रही है। महाराष्ट्र में मराठी और हिंदी के बीच का यह टकराव कोई नया नहीं, लेकिन हर बार यह मुद्दा सामाजिक सौहार्द और कानून व्यवस्था को प्रभावित करता रहा है।अब देखने वाली बात होगी कि क्या प्रशासन इस मामले को शांतिपूर्वक सुलझा पाता है या यह विवाद आगे और भड़कता है।

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