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आईटी विभाग का देशभर में बड़ा एक्शन: राजनीतिक चंदा और मेडिकल क्लेम घोटाले पर छापेमारी - The Indian Exposure

आईटी विभाग का देशभर में बड़ा एक्शन: राजनीतिक चंदा और मेडिकल क्लेम घोटाले पर छापेमारी

इनकम टैक्स विभाग ने पूरे देश में फर्जीवाड़े और टैक्स चोरी के खिलाफ सबसे बड़ी और संगठित कार्रवाई की है। विभाग ने एक ही दिन में 200 से अधिक ठिकानों पर छापेमारी कर कई हजारों करोड़ रुपये के टैक्स घोटाले की परतें उधेड़ दी हैं। इस छापामारी का केंद्र पॉलिटिकल डोनेशन, मेडिकल खर्च और ट्यूशन फीस के नाम पर हो रहा फर्जी बिल घोटाला है, जिसे बड़े शहरों में कुछ प्रभावशाली नेटवर्क्स द्वारा अंजाम दिया जा रहा था।

टैक्स छूट के नाम पर फर्जीवाड़ा, IT विभाग ने कसी नकेल

सूत्रों के अनुसार, इनकम टैक्स विभाग को लंबे समय से शिकायतें मिल रही थीं कि कुछ लोग फर्जी दस्तावेज और नकली बिलों के जरिए इनकम टैक्स में छूट का गलत लाभ उठा रहे हैं। इनमें प्रमुख रूप से वे लोग शामिल हैं, जिन्होंने पॉलिटिकल डोनेशन, ट्यूशन फीस, और मेडिकल क्लेम के नाम पर फर्जी कागजात पेश किए और भारी मात्रा में टैक्स बचाया।

पॉलिटिकल डोनेशन के नाम पर करोड़ों का खेल

विशेष रूप से पॉलिटिकल डोनेशन का मामला गंभीर है। इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80GGC के तहत यदि कोई व्यक्ति राजनीतिक दलों या इलेक्टोरल ट्रस्ट को चंदा देता है, तो उसे उस रकम पर पूरा टैक्स छूट मिलती है। लेकिन अब सामने आया है कि कुछ बिचौलियों और टैक्स सलाहकारों ने इस प्रावधान का दुरुपयोग करते हुए 5-10% कमीशन पर लोगों को फर्जी डोनेशन स्लिप उपलब्ध कराई, जिसके आधार पर टैक्सपेयर्स ने करोड़ों की टैक्स छूट का दावा किया।इन स्लिप्स में दिखाया गया दान असल में हुआ ही नहीं था, और न ही किसी पंजीकृत राजनीतिक दल या ट्रस्ट के खाते में पैसे गए। कुछ मामलों में ऐसे संगठनों का भी नाम आया है जो अस्तित्व में ही नहीं हैं या जिनका कोई राजनीतिक आधार नहीं है।

मेडिकल खर्च और ट्यूशन फीस भी बना टैक्स चोरी का जरिया

टैक्स बचाने के लिए लोगों ने मेडिकल खर्च और ट्यूशन फीस जैसे मान्य सेक्शनों के तहत भी फर्जी बिलों का सहारा लिया। नकली मेडिकल प्रिस्क्रिप्शन, अस्पताल के झूठे बिल और स्कूल-कोचिंग संस्थानों के फर्जी फीस रिसिप्ट तैयार की गईं, जो बाद में इनकम टैक्स रिटर्न में टैक्स छूट पाने के लिए इस्तेमाल की गईं।

राजधानी और मेट्रो शहरों में फैला नेटवर्क

इस पूरे घोटाले का जाल दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु, पुणे, हैदराबाद जैसे बड़े शहरों में फैला है। यहां के कुछ CA, अकाउंटेंट्स और एजेंट्स ने मिलकर टैक्सपेयर्स और कंपनियों के लिए फर्जी बिलिंग और स्लिप्स का एक पूरा सिंडिकेट तैयार किया, जिससे सरकार को हजारों करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ।इनकम टैक्स विभाग ने इस फर्जीवाड़े को गंभीरता से लेते हुए देशभर में छापेमारी की योजना बनाई और एक ही दिन में 200 से ज्यादा ठिकानों पर एक साथ रेड डाली

अब तक की बड़ी रिकवरी और आगे की कार्रवाई

एएनआई के इनपुट के अनुसार, कई जगहों से डिजिटल रिकॉर्ड, लेनदेन की स्लिप्स, फर्जी रसीदें और संदिग्ध दस्तावेज जब्त किए गए हैं। कुछ नामचीन कर सलाहकारों और कारोबारी फर्मों के ऑफिस भी सील किए गए हैं। जांच एजेंसियों की मानें तो यह घोटाला और भी बड़ा रूप ले सकता है, और आने वाले दिनों में अधिक गिरफ्तारियां और बैंक खातों की जांच की जा सकती है।इनकम टैक्स विभाग इस मामले को वित्तीय धोखाधड़ी और कर अपराध के अंतर्गत दर्ज कर रहा है। जिन टैक्सपेयर्स के खिलाफ सबूत मिले हैं, उनके पैन कार्ड ब्लॉक, रीफंड होल्ड, और भविष्य में मुकदमा चलाने की तैयारी की जा रही है।देशभर में इनकम टैक्स विभाग द्वारा की गई यह व्यापक छापेमारी टैक्स सिस्टम में व्याप्त भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े के खिलाफ एक सख्त संदेश है। इससे यह स्पष्ट होता है कि सरकार टैक्स चोरी बर्दाश्त नहीं करेगी, और जो भी टैक्स में छूट का गलत लाभ उठाने की कोशिश करेगा, उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।

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