ट्रिवेणी एक्सप्रेस से टकराया मवेशियों का झुंड, रेल संचालन दो घंटे से ज्यादा रहा बाधित

उत्तर प्रदेश में रेल संचालन एक बार फिर मवेशियों के ट्रैक पर आ जाने की वजह से गंभीर रूप से प्रभावित हुआ। टनकपुर से शक्तिनगर जा रही त्रिवेणी एक्सप्रेस (गाड़ी संख्या 15076) उस वक्त बड़ी दुर्घटना का शिकार होते-होते बची जब लक्ष्मणपुर और ऊंचाहार रेलवे स्टेशन के बीच किलोमीटर संख्या 82/01 पर अचानक मवेशियों का एक झुंड रेलवे लाइन पर आ गया। लोको पायलट ने तत्परता दिखाते हुए इमरजेंसी ब्रेक लगाया, लेकिन तब तक ट्रेन की चपेट में आकर एक मवेशी की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दो अन्य मवेशी गंभीर रूप से घायल हो गए।

इंजन में फंसे अवशेष, दो घंटे से ज्यादा विलंब

ट्रेन के इंजन में मवेशी के अवशेष फंसने से पूरी ट्रेन का संचालन 2 घंटे 13 मिनट तक बाधित रहा। लोको पायलट ने तत्काल लखनऊ कंट्रोल रूम को सूचित किया, जिसके बाद ऊंचाहार स्टेशन से इंजीनियरिंग विभाग की टीम मौके पर भेजी गई। टीम ने इंजन में फंसे मलबे को निकालने में कड़ी मशक्कत की, जिसके बाद ट्रेन को प्रयागराज संगम की ओर रवाना किया गया।

दूसरी ट्रेनों पर भी असर

इस घटना का असर सिर्फ त्रिवेणी एक्सप्रेस तक सीमित नहीं रहा। इस दौरान नौचंदी एक्सप्रेस और गंगागोमती एक्सप्रेस को भी अलग-अलग स्टेशनों पर रोका गया, जिससे यात्रियों को असुविधा का सामना करना पड़ा।सहायक मंडल अभियंता प्रयागराज, पवन कुमार ने पुष्टि करते हुए कहा कि “इंजीनियरिंग विभाग की टीम ने समय पर कार्रवाई की और ट्रेन को सुरक्षित रूप से आगे रवाना किया गया है।”


इंटरसिटी एक्सप्रेस में भी टकराया मवेशी, लेकिन नहीं रुकी ट्रेन

इसी तरह की एक दूसरी घटना शनिवार शाम को प्रयागराज संगम-कानपुर इंटरसिटी एक्सप्रेस (गाड़ी संख्या 14101) में सामने आई। मानिकपुर और अरखा स्टेशन के बीच, किलोमीटर संख्या 59/11-12 के बीच एक मवेशी ट्रेन के इंजन से टकरा गया और ट्रैक के बगल गिर पड़ा। लोको पायलट ने इस घटना की जानकारी लखनऊ कंट्रोल रूम और अरखा स्टेशन मास्टर को दी। हालांकि इस घटना से ट्रेन के संचालन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा और इंटरसिटी एक्सप्रेस अपने निर्धारित समय पर गंतव्य की ओर बढ़ती रही।


रेल ट्रैक पर मवेशियों की बढ़ती समस्या

बार-बार सामने आ रही ऐसी घटनाएं रेलवे प्रशासन के लिए गंभीर चिंता का विषय बन चुकी हैं। खुले में घूमने वाले मवेशी ट्रैक पर आकर न केवल रेल संचालन बाधित कर रहे हैं, बल्कि यात्रियों की जान के लिए भी बड़ा खतरा बनते जा रहे हैं। इन घटनाओं से रेलवे इंफ्रास्ट्रक्चर को नुकसान होता है और ट्रेनों के संचालन में देरी से यात्रियों की योजनाएं प्रभावित होती हैं।रेलवे विभाग और स्थानीय प्रशासन के बीच इस विषय में सही तालमेल और निगरानी प्रणाली की आवश्यकता महसूस की जा रही है, ताकि ट्रैक पर मवेशियों की मौजूदगी को रोका जा सके और भविष्य में ऐसे हादसों से बचा जा सके। लक्ष्मणपुर-ऊंचाहार रूट पर हुई यह दुर्घटना एक बार फिर दर्शाती है कि भारतीय रेलवे को पशुधन नियंत्रण नीति, सुरक्षा दीवारों, और ड्रोन निगरानी जैसी आधुनिक तकनीकों की सख्त जरूरत है। वरना हर कुछ दिन में मवेशियों की वजह से ट्रेनों का संचालन प्रभावित होता रहेगा और यात्रियों की सुरक्षा दांव पर लगती रहेगी।

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