
नई दिल्ली/सना – यमन से एक बड़ी राहत की खबर आई है। केरल की रहने वाली भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की फांसी की सजा पर फिलहाल रोक लगा दी गई है। 16 जुलाई 2025 को उन्हें फांसी दी जानी थी, लेकिन अब यह तारीख स्थगित (पोस्टपोन) कर दी गई है। भारत सरकार द्वारा लगातार यमन प्रशासन के साथ संपर्क और कूटनीतिक प्रयासों के बाद यह फैसला लिया गया है।
क्या है पूरा मामला?
निमिषा प्रिया एक प्रशिक्षित नर्स हैं जो साल 2014 में नौकरी के सिलसिले में यमन गई थीं। वहां उन्होंने एक मेडिकल क्लिनिक में नौकरी शुरू की और बाद में खुद का छोटा मेडिकल सेंटर भी शुरू किया। आरोप है कि उन्होंने एक स्थानीय यमनी नागरिक की हत्या की, जिसका शव टुकड़ों में बरामद किया गया था। यमनी अदालत ने उन्हें हत्या के आरोप में दोषी करार देते हुए मृत्यु दंड (फांसी) की सजा सुनाई थी।हालांकि, निमिषा प्रिया और उनका परिवार लगातार दावा कर रहा है कि यह हत्या आत्मरक्षा में की गई थी। उनका कहना है कि संबंधित व्यक्ति उनके बिजनेस में जबरन दखल दे रहा था और उन्हें मानसिक व शारीरिक रूप से प्रताड़ित कर रहा था।
भारत सरकार का हस्तक्षेप
निमिषा के माता-पिता और पति द्वारा भारत सरकार से कई बार गुहार लगाने के बाद विदेश मंत्रालय ने इस मामले को गंभीरता से लिया। भारत ने यमन की सरकार से राजनयिक चैनलों के माध्यम से संपर्क किया और मानवीय आधार पर सजा को रोकने की अपील की।विदेश मंत्रालय ने यमनी अधिकारियों से यह भी आग्रह किया कि निमिषा की सजा को क्षमादान या वैकल्पिक सजा में बदला जाए। इसके साथ ही भारत की एक टीम यमन में कानूनी प्रक्रिया पर निगरानी बनाए हुए है।
‘ब्लड मनी’ की संभावना
यमन के कानून के तहत, ऐसे मामलों में “ब्लड मनी” यानी मुआवज़ा देकर सजा से राहत पाना संभव है, यदि मृतक के परिजन क्षमा कर दें। अब यह भी संभावना जताई जा रही है कि भारत सरकार या सामाजिक संगठनों की मदद से ब्लड मनी का प्रस्ताव मृतक के परिवार को दिया जा सकता है।
निमिषा की मां का बयान
निमिषा की मां ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “हमने कभी उम्मीद नहीं छोड़ी। भारत सरकार ने हमारी बेटी की जिंदगी बचाने के लिए बहुत प्रयास किया है। हमें यकीन है कि जल्द ही वह सुरक्षित भारत लौटेगी।” उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर को इस प्रयास के लिए धन्यवाद भी दिया।
आगे क्या?
अब निमिषा प्रिया के वकील यमन की अदालत में दया याचिका दाखिल कर सकते हैं। भारत सरकार की कोशिश है कि या तो यमन राष्ट्रपति से माफ़ी दिलाई जाए या ब्लड मनी के जरिए समझौता कराया जाए।हालांकि, अभी भी मामला पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है और निमिषा की जिंदगी सुरक्षित करने के लिए कूटनीतिक और कानूनी लड़ाई जारी है।