वाइब्रेंट विलेज मिशन को मिले प्राथमिकता, जिलों को मिले निर्देश

चीन और नेपाल की सीमा से सटे उत्तराखंड के दूरस्थ सीमावर्ती गांवों को अब मुख्यधारा से जोड़ने और विकास की रोशनी से भरने की दिशा में सरकार ने ठोस कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। ‘वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम’ के अंतर्गत राज्य सरकार ने अब इन गांवों को न सिर्फ विकसित करने का लक्ष्य रखा है, बल्कि इन्हें सामाजिक, आर्थिक और रणनीतिक रूप से भी मजबूत बनाने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। इसी क्रम में मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने मंगलवार को एक उच्चस्तरीय बैठक के दौरान महत्वपूर्ण निर्देश जारी किए हैं।

बैठक में मुख्य सचिव ने वाइब्रेंट विलेज योजना के अंतर्गत आने वाले राज्य के 91 सीमांत गांवों के लिए अति महत्वपूर्ण योजनाओं को शीघ्र लागू करने के निर्देश संबंधित जिलाधिकारियों को दिए। उन्होंने स्पष्ट कहा कि इन गांवों को “सिर्फ रहने लायक” ही नहीं बल्कि “समृद्ध और आत्मनिर्भर” बनाना सरकार की प्राथमिकता है। सीमावर्ती इलाकों में बुनियादी सुविधाओं का विस्तार, रोजगार सृजन, पर्यटन विकास, सड़क, बिजली, पेयजल, स्वास्थ्य, शिक्षा और डिजिटल कनेक्टिविटी जैसे क्षेत्रों में ठोस कार्ययोजना लागू की जानी चाहिए।

मुख्य सचिव ने यह भी कहा कि यह केवल एक विकास योजना नहीं है, बल्कि देश की राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण पहल है। सीमावर्ती गांवों में आबादी बनाए रखना और पलायन को रोकना सरकार की शीर्ष प्राथमिकताओं में शामिल है। उन्होंने अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि योजनाएं कागजों तक सीमित न रहें, बल्कि जमीनी स्तर पर प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए।

बैठक में बताया गया कि केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई वाइब्रेंट विलेज योजना का उद्देश्य ऐसे सीमावर्ती गांवों को विकसित करना है, जो अब तक मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहे हैं। इस योजना के अंतर्गत उत्तराखंड के कुल 91 गांवों को चिन्हित किया गया है, जो चीन और नेपाल सीमा के पास स्थित हैं।

इस अवसर पर मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे प्रत्येक गांव के लिए एक विकास कार्ययोजना (Village Development Plan) तैयार करें, जिसमें स्थानीय आवश्यकताओं और संसाधनों का ध्यान रखते हुए योजनाओं को प्राथमिकता दी जाए।

प्रमुख निर्देशों में शामिल हैं:

  • सीमांत गांवों में बुनियादी ढांचे का शीघ्र विकास
  • प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और मोबाइल मेडिकल यूनिट्स की व्यवस्था
  • स्कूलों की स्थिति सुधारना व डिजिटल शिक्षा सुविधा उपलब्ध कराना
  • युवाओं के लिए स्वरोजगार और प्रशिक्षण कार्यक्रम
  • महिला सशक्तिकरण की योजनाएं
  • पर्यावरण संतुलन व प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण
  • आपदा प्रबंधन प्रणाली को मजबूत बनाना

सरकार की इस पहल से सीमावर्ती गांवों में रहने वाले लोगों को उम्मीद की नई किरण दिखाई दे रही है। यह योजना उत्तराखंड के दुर्गम गांवों को वाइब्रेंट बनाकर न केवल क्षेत्रीय विकास को गति देगी, बल्कि सीमा सुरक्षा को भी मजबूती प्रदान करेगी।

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