
श्रावण शिवरात्रि और कांवड़ यात्रा 2025 के पावन अवसर पर धर्मनगरी हरिद्वार एक बार फिर शिवमय हो उठी है। अंतिम दिन के मौके पर लाखों श्रद्धालु पवित्र गंगा में डुबकी लगाने और शिवालयों में जलाभिषेक के लिए उमड़ पड़े। तड़के ब्रह्ममुहूर्त से ही श्रद्धालुओं की भीड़ हरकी पौड़ी, गंगा घाटों और प्रमुख शिव मंदिरों की ओर बढ़ने लगी। हरिद्वार के प्रमुख शिवालयों में श्रद्धालु बेलपत्र, धतूरा, भांग और गंगाजल से भगवान शिव का अभिषेक कर रहे हैं।
हरिद्वार के ऐतिहासिक दक्षेश्वर महादेव मंदिर, नीलेश्वर महादेव, बिल्केश्वर महादेव, दुख भंजन मंदिर, दरिद्र भंजन मंदिर, पशुपतिनाथ मंदिर, गुप्तेश्वर महादेव और तिलभांडेश्वर महादेव मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया गया। शहर भर में श्रद्धालु ‘हर हर महादेव’ और ‘बम बम भोले’ के जयकारों के साथ मंदिरों में शिव के दर्शन और जलाभिषेक कर पुण्य अर्जित कर रहे हैं। मंदिरों के बाहर लंबी कतारें देखी जा रही हैं और स्थानीय प्रशासन द्वारा सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए हैं।
विशेष मुहूर्त में हुआ अभिषेक
भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री के अनुसार, इस बार सावन शिवरात्रि पर जलाभिषेक का ब्रह्ममुहूर्त सुबह 4:15 से 4:56 तक था। विजय मुहूर्त दोपहर 2:44 से 3:39 बजे तक और संध्या मुहूर्त शाम 7:17 से 8:20 बजे तक रहा। इस दौरान भक्तों ने पूरे विधि-विधान से पूजा की। नारायण ज्योतिष संस्थान के आचार्य विकास जोशी ने बताया कि चतुर्दशी तिथि प्रारंभ होते ही भक्त उपवास रखकर भगवान शिव का पूजन करते हैं।
उन्होंने बताया कि सावन की शिवरात्रि पर चार पहरों में भगवान शिव की आराधना का विशेष महत्व होता है:
- प्रथम पहर पूजा: शाम 7:27 बजे से रात 10:07 बजे तक
- द्वितीय पहर पूजा: रात 10:06 बजे से 12:46 बजे तक
- तृतीय पहर पूजा: रात 12:46 बजे से सुबह 3:28 बजे तक
- चतुर्थ पहर पूजा: सुबह 3:27 बजे से 6:07 बजे तक
हरिद्वार के मंदिरों में चारों पहरों में विशेष पूजा आयोजित की गई। पूरे दिन श्रद्धालुओं का रेला मंदिरों और घाटों पर बना रहा।
कांवड़ियों की आस्था का ज्वार
कांवड़ यात्रा के अंतिम दिन तक करोड़ों की संख्या में कांवड़िए गंगाजल भरकर अपने गंतव्य की ओर रवाना हो चुके हैं। वहीं, लाखों श्रद्धालु अभी भी हरिद्वार पहुंच रहे हैं। पूरा शहर भगवा रंग में रंग गया है। प्रशासन ने ट्रैफिक और स्वास्थ्य सुविधाओं की विशेष व्यवस्था की है। जगह-जगह चिकित्सा शिविर, विश्राम स्थल और जलपान केंद्र बनाए गए हैं।
श्रावण शिवरात्रि का यह अद्भुत संगम – भक्तों की श्रद्धा, गंगाजल का पवित्र प्रवाह, शिव मंदिरों की घंटियां और हर दिशा में गूंजते ‘हर हर महादेव’ के स्वर – हरिद्वार को एक दिव्य और आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देते हैं।