
महाराष्ट्र की राजनीति में एक दुर्लभ लेकिन सराहनीय दृश्य उस समय सामने आया जब एनसीपी प्रमुख शरद पवार और शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्य के मौजूदा उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की खुले मंच पर सराहना की। दोनों नेताओं ने यह तारीफ़ फडणवीस के जन्मदिन पर प्रकाशित एक विशेष “कॉफी टेबल बुक” में की, जिसका विमोचन महाराष्ट्र के राज्यपाल सी. पी. राधाकृष्णन द्वारा राजभवन में किया गया।
पुस्तक “महाराष्ट्र नायक” में शरद पवार ने लिखा कि देवेंद्र फडणवीस को देखकर उन्हें वह समय याद आता है जब उन्होंने 1978 में पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। पवार ने कहा कि फडणवीस एक जानकार नेता हैं और राज्य के प्रशासनिक ढांचे पर उनकी मजबूत पकड़ है। वहीं उद्धव ठाकरे ने पुस्तक में फडणवीस को अध्ययनशील और वफादार नेता करार दिया। उन्होंने लिखा कि देवेंद्र फडणवीस के पास राष्ट्रीय राजनीति में बड़ी भूमिका निभाने की क्षमता है और इसके लिए उन्होंने उन्हें शुभकामनाएं भी दीं।
इस अप्रत्याशित लेकिन सकारात्मक राजनीतिक घटनाक्रम पर भाजपा नेताओं ने खुशी जताई है। महाराष्ट्र के मंत्री और भाजपा नेता चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा कि किसी व्यक्ति के जन्मदिन पर उसके अच्छे कार्यों और उपलब्धियों की प्रशंसा करना महाराष्ट्र की सांस्कृतिक परंपरा का हिस्सा है। उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि उद्धव ठाकरे ने देवेंद्र फडणवीस के विजन और खासकर 2029 तक विकसित महाराष्ट्र के लक्ष्य की सराहना की है। यह प्रशंसा राज्य की राजनीति के लिए एक प्रेरक संकेत है और यह सभी राजनीतिक दलों को एक सकारात्मक संदेश देती है।”
भाजपा विधायक राम कदम ने भी शरद पवार और उद्धव ठाकरे की टिप्पणी की सराहना करते हुए कहा, “देवेंद्र फडणवीस दिन-रात मेहनत करते हैं। वे एक कार्यकर्ता की तरह लोगों से देर रात तक मिलते हैं और उनकी समस्याओं का समाधान निकालने की कोशिश करते हैं। हमें यह समझना होगा कि हमारी राजनीतिक लड़ाई विचारों की है, न कि व्यक्तिगत दुश्मनी की।”
मुख्यमंत्री फडणवीस ने स्वयं इस तारीफ़ पर प्रतिक्रिया देते हुए दोनों नेताओं का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा, “हम वैचारिक विरोधी हो सकते हैं, लेकिन हम दुश्मन नहीं हैं। जब सार्वजनिक जीवन में इस तरह की सराहनाएं मिलती हैं, तो यह सभी को एक बेहतर नेतृत्व के लिए प्रेरित करती हैं।”
इस पूरे घटनाक्रम ने यह साबित कर दिया है कि राजनीति में विरोध का मतलब दुश्मनी नहीं होता, और एक-दूसरे के अच्छे कार्यों की सराहना करना भी लोकतंत्र की सुंदरता का हिस्सा है।