
राजकीय मेडिकल कॉलेज देहरादून और हल्द्वानी में उपचार के लिए आने वाले मरीजों के परिजनों और तीमारदारों को अब खुले आसमान या गलियारों में रातें नहीं बितानी पड़ेंगी। उत्तराखंड सरकार ने इन मेडिकल कॉलेजों में विश्राम गृह बनाने का बड़ा निर्णय लिया है। यह निर्णय मरीजों के साथ आने वाले परिजनों की कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है, जो अक्सर अस्पताल परिसर में रातें गुजारने के लिए मजबूर होते हैं।
बुधवार को सचिवालय में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की उपस्थिति में चिकित्सा शिक्षा विभाग और सेवादान आरोग्य संस्था के बीच एक महत्वपूर्ण एमओयू (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए। यह एमओयू अगले 20 वर्षों के लिए वैध रहेगा। इस विश्राम गृह परियोजना का उद्देश्य तीमारदारों को ठहरने, बैठने, शुद्ध पेयजल, शौचालय, भोजन और अन्य बुनियादी सुविधाएं एक ही स्थान पर उपलब्ध कराना है।
मुख्यमंत्री धामी ने इस अवसर पर कहा कि यह सुविधा मेडिकल कॉलेजों में भर्ती मरीजों के साथ आने वाले परिजनों को बहुत राहत देगी। उन्होंने सेवादान आरोग्य संस्था से एम्स सैटेलाइट सेंटर, किच्छा में भी इस तरह की सुविधा विकसित करने का आग्रह किया, जिसे संस्था ने सहर्ष स्वीकार कर लिया।
कम दरों पर मिलेगा भोजन और ठहरने की सुविधा
सेवादान आरोग्य संस्था द्वारा जल्द ही दोनों मेडिकल कॉलेजों में कुल 350 बिस्तरों की क्षमता वाले विश्राम गृहों का निर्माण किया जाएगा। इन विश्रामगृहों में ठहरने की दरें बेहद रियायती रखी गई हैं ताकि गरीब व मध्यमवर्गीय परिवारों को भी इसका लाभ मिल सके।
📌 भोजन व्यवस्था:
- नाश्ता: ₹20
- दोपहर व रात्रि का भोजन: ₹35 प्रति थाली
📌 ठहरने की दरें:
- 10 बेड वाले 5 शयनागार: ₹55 प्रति बिस्तर
- 8 बेड वाले 2 शयनागार: ₹55 प्रति बिस्तर
- 6 बेड वाले 5 शयनागार: ₹75 प्रति बिस्तर
- डबल बेड वाले 33 कमरे: ₹330 प्रति कमरा
- डबल बेड (एसी युक्त) 8 कमरे: ₹850 प्रति कमरा
- चार बेड वाले 36 कमरे: ₹75 प्रति बिस्तर
राजकीय मेडिकल कॉलेज देहरादून में इस परियोजना के लिए 1750 वर्गमीटर भूमि और हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज में 1400 वर्गमीटर भूमि उपलब्ध कराई गई है।
सरकार की संवेदनशीलता का उदाहरण
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा, “सरकार मरीजों की ही नहीं, बल्कि उनके साथ आने वाले तीमारदारों की समस्याओं को भी गंभीरता से समझती है। अस्पतालों में दिन-रात बिताने वाले इन परिजनों के लिए ठहरने की उचित व्यवस्था न होने के कारण उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में यह विश्राम गृह योजना एक संवेदनशील और मानवीय कदम है। पहले चरण में दून और हल्द्वानी मेडिकल कॉलेजों में यह सुविधा शुरू की जा रही है, आगे इसे अन्य प्रमुख अस्पतालों में भी विस्तार दिया जाएगा।”
इस मौके पर सचिव स्वास्थ्य डॉ. आर. राजेश कुमार, सचिव विनय शंकर पांडेय, निदेशक चिकित्सा शिक्षा डॉ. आशुतोष सयाना, सेवादान आरोग्य संस्था से अभिषेक सक्सेना, आनंद सिंह बिसेन और अमित दास सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
निष्कर्ष:
उत्तराखंड सरकार की यह पहल न सिर्फ मरीजों को बल्कि उनके परिवारजनों को भी राहत देगी। बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के साथ-साथ मानवीय संवेदना को प्राथमिकता देना सरकार की गंभीरता और ज़िम्मेदारी को दर्शाता है। विश्राम गृह योजना से आने वाले समय में लाखों तीमारदारों को राहत मिलेगी और यह राज्य के स्वास्थ्य तंत्र को और अधिक सुदृढ़ बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती है।