
उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख जैसे हिमालयी बर्फबारी वाले संवेदनशील क्षेत्रों में जाति आधारित जनगणना का कार्य अगले साल 1 अक्टूबर 2026 से शुरू किया जाएगा। यह जानकारी केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने हरिद्वार सांसद व पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के लोकसभा में पूछे गए सवाल के लिखित उत्तर में दी। यह जनगणना दो चरणों में आयोजित की जाएगी और इसका मकसद आंकड़ों से कहीं आगे जाकर विकास की नींव तैयार करना है।
📌 दो चरणों में होगी प्रक्रिया
गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि जनगणना-2027 को केंद्र सरकार ने दो प्रमुख चरणों में आयोजित करने का निर्णय लिया है:
- पहला चरण – मकान सूचीकरण और गणना:
इस चरण में प्रत्येक परिवार की आवासीय स्थिति, संपत्ति, और बुनियादी सुविधाओं से जुड़ी जानकारी एकत्र की जाएगी। मकानों की भौतिक स्थिति, निर्माण सामग्री, जल स्रोत, स्वच्छता, बिजली, रसोई आदि की जानकारी भी इसमें शामिल रहेगी। - दूसरा चरण – जातीय जनगणना सहित जनसंख्या गणना:
इस चरण में हर व्यक्ति की सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक व जातीय जानकारी एकत्र की जाएगी। यह पहली बार होगा जब भारत सरकार की जनगणना प्रक्रिया में जाति आधारित आंकड़े भी दर्ज किए जाएंगे।
📌 बर्फबारी क्षेत्रों के लिए अलग तिथि
बर्फबारी और दुर्गम क्षेत्रों की भौगोलिक कठिनाइयों को देखते हुए इन क्षेत्रों के लिए संदर्भ तिथि 1 अक्टूबर की मध्यरात्रि तय की गई है। वहीं, सामान्य क्षेत्रों के लिए यह तिथि 1 मार्च 2027 की मध्यरात्रि होगी।
📌 वित्तीय बजट और तकनीकी तैयारी
गृह राज्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि जनगणना-2027 के लिए वित्तीय प्रावधानों को अंतिम रूप दिया जा रहा है, और इसकी घोषणा उचित समय पर की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि फिलहाल राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को अपडेट करने का कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
📌 सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत की प्रतिक्रिया
सांसद त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि जनगणना केवल आंकड़ों का संग्रह नहीं होती, बल्कि यह विकास योजनाओं का आधार बनती है। जाति आधारित जनगणना का निर्णय सटीक और लक्षित नीतियों के निर्माण में सहायक होगा। उन्होंने कहा कि यह जनगणना डिजिटल तकनीक, डेटा पारदर्शिता और सटीक सामाजिक विश्लेषण की दिशा में बड़ा कदम है, जो विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को साकार करने में मददगार सिद्ध होगा।
📌 निष्कर्ष
जातीय जनगणना को लेकर उत्तराखंड समेत अन्य हिमालयी क्षेत्रों में तैयारियां तेज़ हो गई हैं। यह जनगणना जहां स्थानीय प्रशासन के लिए चुनौतीपूर्ण कार्य होगी, वहीं केंद्र व राज्य सरकारों को योजनाएं तैयार करने के लिए ठोस सामाजिक और आर्थिक आधार भी प्रदान करेगी।
📌 यह जनगणना भारत के इतिहास में एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकती है, जहां न केवल आबादी गिनी जाएगी, बल्कि सामाजिक विविधता को समझते हुए वास्तविक जरूरतों तक सरकारी योजनाएं पहुंचाई जा सकेंगी।