
नई दिल्ली | संसद के उच्च सदन राज्यसभा में सोमवार को ‘ऑपरेशन सिन्दूर’ को लेकर विशेष चर्चा के दौरान राजनीतिक पारा चढ़ा रहा। इस बहस में भाग लेते हुए केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने विपक्ष विशेषकर कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकारों पर राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति लापरवाही और कायरतापूर्ण नीति अपनाने के गंभीर आरोप लगाए।
जेपी नड्डा ने कहा कि कांग्रेस की सरकारें न तो सीमावर्ती इलाकों के विकास पर गंभीर थीं और न ही आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कदम उठाने में सक्षम रहीं। उन्होंने एक पूर्व रक्षा मंत्री का हवाला देते हुए दावा किया कि उस समय की सोच यह थी कि “सीमा का विकास नहीं करना ही सबसे अच्छी सुरक्षा नीति है।” नड्डा ने कहा कि उस समय यह तर्क दिया गया था कि “अविकसित सीमा विकसित सीमा से ज्यादा सुरक्षित होती है।” इस मानसिकता ने ही राष्ट्रीय सुरक्षा को कमजोर किया और सीमाओं को असुरक्षित बना दिया।
नड्डा ने एक अन्य बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि एक पूर्व गृहमंत्री को कश्मीर जाने में डर लगता था। उन्होंने बिना किसी नाम का जिक्र किए कहा, “उन्होंने खुद स्वीकार किया था कि उन्हें कश्मीर जाने में भय लगता है।” उन्होंने आरोप लगाया कि देश उन वर्षों में ‘अंधेरे के दौर’ से गुजर रहा था, जब नेतृत्व में न इच्छाशक्ति थी, न स्पष्टता और न ही राष्ट्रीय हितों की प्राथमिकता।
2005 से 2008 के आतंकी हमलों का किया उल्लेख
जेपी नड्डा ने 2005 में दिल्ली में हुए सीरियल बम धमाकों, 2006 में वाराणसी और मुंबई लोकल ट्रेन बम धमाकों, और 2008 के जयपुर धमाकों का उल्लेख करते हुए कहा कि इन तमाम घटनाओं के बावजूद तत्कालीन सरकारों ने कोई कड़ा कदम नहीं उठाया। उन्होंने कहा, “जब भारत खून से लथपथ था, तब पाकिस्तान से व्यापार और पर्यटन निर्बाध रूप से चलता रहा।”
‘बिरयानी की राजनीति’ और ट्रिपल-एंट्री परमिट का मुद्दा उठाया
नड्डा ने कांग्रेस की नीतियों पर तंज कसते हुए कहा, “वो हमें गोलियों से भूनते रहे और हम उन्हें बिरयानी खिलाते रहे।” उन्होंने यह भी बताया कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) से नियंत्रण रेखा (LoC) पार कर आने-जाने के लिए ट्रिपल-एंट्री परमिट की अनुमति तक दे दी गई थी, जो सुरक्षा के लिहाज से अत्यंत खतरनाक फैसला था।
‘मोदी युग’ में बदली सुरक्षा नीति
जेपी नड्डा ने मोदी सरकार की उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए कहा कि 2014 से 2025 तक, जम्मू-कश्मीर को छोड़कर देश के किसी भी हिस्से में कोई बड़ा आतंकी हमला नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि देश की सुरक्षा नीति अब ‘बातों’ पर नहीं, कार्रवाई और निर्णायक सोच पर आधारित है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि 2009 में हुए शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शिखर सम्मेलन में, भारत ने 2008 के मुंबई आतंकी हमले का कोई जिक्र तक नहीं किया था, जो उस समय की सरकार की कमजोर विदेश नीति और आतंकवाद पर नरम रुख को दर्शाता है।
नड्डा ने कांग्रेस पर लगाया ‘तुष्टिकरण की राजनीति’ का आरोप
जेपी नड्डा ने कांग्रेस की नीतियों को ‘तुष्टिकरण की राजनीति’ करार देते हुए कहा कि “हम उस समय की सरकार की उस मानसिकता को न भूलें जिसने राष्ट्रीय सुरक्षा को कुर्बान कर, केवल वोटबैंक की राजनीति की।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश अब निर्भीक नेतृत्व के साथ आगे बढ़ रहा है और भारत की प्रतिष्ठा वैश्विक मंचों पर पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हुई है।