
उत्तराखंड के चमोली जनपद के गैरसैंण ब्लॉक स्थित मुख्यमंत्री आदर्श गांव सारकोट से एक ऐतिहासिक और प्रेरणादायक चुनावी खबर सामने आई है। मात्र 21 वर्ष की उम्र में प्रियंका नेगी ने ग्राम प्रधान पद पर विजय हासिल कर सभी को चौंका दिया है। इस युवा उम्मीदवार को जीत की बधाई स्वयं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने फोन कर दी और साथ मिलकर गांव के समग्र विकास के लिए कार्य करने का भरोसा जताया।
मुख्यमंत्री ने प्रियंका को फोन कर कहा, “गांव के विकास के लिए हम सब मिलकर काम करेंगे। सरकार आपकी हर पहल में सहयोगी बनेगी।” उन्होंने सारकोट गांव के सभी मतदाताओं और ग्रामीणों को भी बधाई देते हुए कहा कि “गांव ने बहुत अच्छा चुनाव लड़ा है और यह लोकतंत्र की शक्ति का सुंदर उदाहरण है।”
सीएम धामी ने यह भी कहा कि गैरसैंण को प्रदेश के मॉडल गांव के रूप में चुना गया है और इस दिशा में सभी जरूरी विकास कार्यों को प्राथमिकता से पूरा किया जाएगा। मुख्यमंत्री के निर्देश पर जिले के उच्च अधिकारी शीघ्र ही गांव का निरीक्षण करेंगे और जरूरत के अनुसार योजनाएं और संसाधन मुहैया कराएंगे। सीएम ने विशेष रूप से ग्राम प्रधान प्रियंका नेगी से आग्रह किया कि वे गांव में पहले से चल रहे विकास कार्यों को आगे बढ़ाएं, महिलाओं को जागरूक बनाएं और उन्हें स्वरोजगार से जोड़ने के लिए योजनाएं शुरू करें।
प्रियंका को देहरादून आमंत्रित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ग्राम स्तर पर नेतृत्व कर रही युवा पीढ़ी को प्रोत्साहित करना चाहती है ताकि राज्य के गांवों को आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाया जा सके।
प्रियंका नेगी – सबसे कम उम्र की ग्राम प्रधान, मिला ग्रामीणों का विश्वास
सारकोट की 21 वर्षीय प्रियंका नेगी ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत शानदार जीत के साथ की है। उन्हें ग्राम प्रधान पद के लिए कुल 421 मत मिले, जबकि उनकी निकटतम प्रतिद्वंद्वी प्रियंका देवी को 235 वोट मिले। इस ऐतिहासिक जीत ने उन्हें क्षेत्र की सबसे कम उम्र की ग्राम प्रधान बना दिया है।
प्रियंका ने अभी हाल ही में गैरसैंण महाविद्यालय से राजनीतिशास्त्र में स्नातक की पढ़ाई पूरी की है और उनका रिजल्ट तीन दिन पहले ही आया है। प्रियंका के लिए राजनीति कोई नया क्षेत्र नहीं है। उनके पिता भी 2014 से 2019 तक इसी गांव के प्रधान रह चुके हैं। इस पारिवारिक पृष्ठभूमि के साथ-साथ प्रियंका की शिक्षा और ग्रामीणों का विश्वास उन्हें एक सशक्त नेता के रूप में स्थापित करता है।
मुख्यमंत्री की नजर में खास क्यों है सारकोट?
गैरसैंण ब्लॉक का सारकोट गांव मुख्यमंत्री आदर्श गांव के रूप में पहले ही घोषित किया जा चुका है। भराड़ीसैंण में विधान सभा सत्रों के आयोजन के साथ-साथ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की विकास योजनाओं में सारकोट का नाम विशेष महत्व रखता है। लगभग 300 से अधिक परिवारों वाले इस गांव में पलायन नहीं हुआ है, जो सरकार की योजनाओं की सफलता का संकेत है। यही कारण है कि सीएम स्वयं इस गांव को लेकर गंभीर हैं और समय-समय पर विशेष योजनाएं यहां शुरू की जा रही हैं।
प्रियंका की प्राथमिकताएं – महिला सशक्तिकरण और विकास
प्रियंका ने अपने पहले सार्वजनिक बयान में कहा, “मुख्यमंत्री द्वारा शुरू किए गए विकास कार्यों को प्राथमिकता के साथ आगे बढ़ाया जाएगा। मेरी सबसे पहली कोशिश होगी कि गांव की महिलाओं को आत्मनिर्भर और जागरूक बनाया जाए। हम उन्हें स्वरोजगार से जोड़ेंगे, शिक्षा और स्वच्छता जैसे मुद्दों पर काम करेंगे।”
प्रियंका ने यह भी कहा कि वे युवाओं के लिए खेल और कौशल विकास से जुड़ी गतिविधियां शुरू करना चाहती हैं ताकि गांव के युवा भी आत्मनिर्भर बन सकें और शहरों की ओर पलायन न करें।
निष्कर्ष
प्रियंका नेगी की यह जीत न केवल सारकोट गांव बल्कि पूरे उत्तराखंड के लिए एक सकारात्मक संकेत है – यह बताता है कि युवा पीढ़ी अब पंचायतों और स्थानीय स्तर की राजनीति में भी आगे आ रही है। मुख्यमंत्री की ओर से मिली यह मान्यता और समर्थन आने वाले वर्षों में प्रियंका के नेतृत्व में सारकोट को राज्य का एक आदर्श गांव बना सकती है।