
उत्तराखंड के भूस्खलन प्रभावित इलाकों के लिए राहत की बड़ी खबर सामने आई है। केंद्र सरकार ने राज्य में भूस्खलन उपचार के लिए ₹125 करोड़ की महत्त्वाकांक्षी योजना को मंजूरी दे दी है। इस परियोजना के अंतर्गत पहले चरण में ₹4.5 करोड़ की राशि जारी कर दी गई है, जिसका उपयोग विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने में किया जाएगा। यह कार्य राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (SDMA) और उत्तराखंड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केंद्र (UKLMCC) की निगरानी में किया जाएगा।
✅ किन स्थानों पर होगा भूस्खलन उपचार?
इस परियोजना के अंतर्गत राज्य के पांच संवेदनशील स्थलों को पहले चरण में शामिल किया गया है:
- मनसा देवी पहाड़ी, हरिद्वार – यह क्षेत्र हरिद्वार की प्रमुख धार्मिक पहाड़ी है, जहां विशेषकर कांवड़ यात्रा के दौरान भारी भीड़ रहती है। यहाँ का मार्ग वैकल्पिक रास्ते के तौर पर उपयोग होता है, लेकिन भूस्खलन के चलते यात्रियों की सुरक्षा संकट में आ जाती है। अब इस पहाड़ी पर भूस्खलन रोकथाम का कार्य किया जाएगा।
- गलोगी जलविद्युत परियोजना मार्ग, मसूरी – यह मार्ग पर्वतीय पर्यटन स्थल मसूरी से जुड़ा है और जलविद्युत परियोजना के लिहाज से भी अहम है। यहां बार-बार भूस्खलन की घटनाएं होती रही हैं।
- चार्टन लॉज, नैनीताल – नैनीताल का यह इलाका लंबे समय से भू-धंसाव और चट्टानें खिसकने की घटनाओं के कारण संवेदनशील बना हुआ है। इस स्थान को भी उपचार योजना में शामिल किया गया है।
- बहुगुणा नगर, कर्णप्रयाग – यह क्षेत्र भी लैंडस्लाइड ज़ोन में आता है। हाल के वर्षों में यहां भू-धंसाव की कई घटनाएं सामने आई हैं, जिससे स्थानीय निवासियों की सुरक्षा पर खतरा मंडरा रहा है।
- खोतिला-घटधार मार्ग, पिथौरागढ़ – सीमावर्ती जिले पिथौरागढ़ के इस क्षेत्र में भी बार-बार भूस्खलन और पहाड़ी दरकने की घटनाएं होती रहती हैं। इसे भी इस योजना में प्राथमिकता दी गई है।
🛠️ DPR तैयार करने के लिए जारी हुए 4.5 करोड़
भूस्खलन उपचार योजना को धरातल पर उतारने के लिए सबसे पहले विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) तैयार की जाएगी। इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा ₹4.5 करोड़ की राशि राज्य को पहले ही जारी कर दी गई है। DPR के आधार पर प्रत्येक स्थान पर तकनीकी एवं भौगोलिक विश्लेषण कर Slope Stabilization, Retaining Walls, Drainage Control Systems और अन्य आवश्यक संरचनात्मक उपाय अपनाए जाएंगे।
🗣️ मुख्यमंत्री ने जताया प्रधानमंत्री व गृहमंत्री के प्रति आभार
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने केंद्र सरकार के इस सहयोग के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के प्रति राज्य सरकार और समस्त प्रदेशवासियों की ओर से गहरा आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि यह परियोजना राज्य के आपदा-प्रवण क्षेत्रों में दीर्घकालिक समाधान की दिशा में एक निर्णायक और सार्थक पहल है।
सीएम धामी ने कहा, “उत्तराखंड एक भौगोलिक रूप से संवेदनशील राज्य है। भूस्खलन की घटनाएं न केवल जनजीवन को प्रभावित करती हैं, बल्कि यात्रा और पर्यटन को भी बाधित करती हैं। ऐसे में केंद्र सरकार का यह सहयोग राज्य के लिए वरदान साबित होगा।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इन पांच स्थलों का चयन पूरी तरह विज्ञान आधारित और प्राथमिकता के आधार पर किया गया है। आने वाले समय में अन्य संवेदनशील इलाकों को भी इस योजना में शामिल किया जाएगा।
📌 निष्कर्ष
राज्य में बढ़ते भूस्खलन के खतरों को देखते हुए यह योजना उत्तराखंड की पर्वतीय सुरक्षा संरचना को मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम मानी जा रही है। न सिर्फ पर्यटकों और तीर्थयात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि स्थानीय नागरिकों को भी स्थायी राहत मिलेगी। अब उम्मीद है कि जल्द ही इन क्षेत्रों में स्थाई संरचनात्मक उपचार कार्य शुरू होगा, जिससे प्राकृतिक आपदाओं की रोकथाम में महत्वपूर्ण सफलता मिलेगी।