
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत-रूस संबंधों को लेकर की गई टिप्पणी पर भारत ने सख्त और स्पष्ट प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय (MEA) ने शुक्रवार को कहा कि भारत के अंतरराष्ट्रीय रिश्ते किसी की मंजूरी या असहमति पर नहीं, बल्कि अपनी राष्ट्रीय आवश्यकताओं, प्राथमिकताओं और रणनीतिक स्वायत्तता पर आधारित होते हैं।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने प्रेस ब्रीफिंग में कहा, “भारत और रूस के संबंध दशकों पुराने हैं, और यह साझेदारी दोनों देशों की रणनीतिक प्राथमिकताओं और परस्पर सहयोग की भावना से प्रेरित है। भारत अपने सभी द्विपक्षीय संबंध योग्यता, पारस्परिक सम्मान और रणनीतिक स्वायत्तता के आधार पर तय करता है।”
ट्रंप की टिप्पणी क्या थी?
डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक चुनावी सभा में कहा था कि भारत, रूस और अन्य देशों के साथ मिलकर अमेरिका के खिलाफ नीतियां बना रहा है और इन संबंधों को अमेरिका की वैश्विक स्थिति के लिए खतरा बताया था। ट्रंप का दावा था कि अमेरिका की कमजोरी और नेतृत्व की विफलता के चलते भारत जैसे देश अब रूस के साथ मिलकर अपने हित साधने में लगे हैं।
भारत की विदेश नीति पर कोई सवाल नहीं: MEA
भारत के विदेश मंत्रालय ने इस मुद्दे पर अमेरिका को भी अप्रत्यक्ष रूप से याद दिलाया कि भारत की नीति किसी एक खेमे की ओर झुकाव वाली नहीं है। प्रवक्ता ने दोहराया कि भारत वैश्विक मंच पर अपने हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है और अपनी विदेश नीति को स्वतंत्र रूप से संचालित करता है।
रूस-भारत संबंध क्यों हैं खास?
भारत और रूस के बीच दशकों पुराना रक्षा सहयोग, ऊर्जा साझेदारी, अंतरिक्ष अनुसंधान, व्यापार और निवेश जैसे अनेक क्षेत्रों में मजबूती से आगे बढ़ रहा है। भारत रूसी कच्चे तेल का भी एक प्रमुख खरीदार बना हुआ है और दोनों देशों के बीच कई रणनीतिक परियोजनाएं भी जारी हैं।
अमेरिका से भी संबंध मजबूत
भारत ने यह भी साफ किया कि अमेरिका के साथ उसके संबंध भी गहरे और बहुआयामी हैं। भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी, क्वाड सहयोग, रक्षा और तकनीकी क्षेत्रों में लगातार विस्तार हो रहा है। ऐसे में एक पक्ष के साथ संबंध गहरा होने का मतलब यह नहीं कि दूसरे पक्ष से दूरी बढ़ रही है।