
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक बार फिर भारतीय चुनाव प्रणाली और चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं। महाराष्ट्र चुनावों के संदर्भ में राहुल गांधी ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि चुनाव में बड़े पैमाने पर फर्जी वोट डाले गए हैं और आयोग की चुप्पी संदेह को गहरा करती है।
राहुल गांधी ने मीडिया से बातचीत में दावा किया कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के आखिरी 5 महीनों में अचानक लाखों वोटर जोड़े गए, जिनमें से लगभग 40 लाख वोट फर्जी थे। उनका आरोप है कि मतदान के दिन शाम 5 बजे के बाद वोटर टर्नआउट में अप्रत्याशित रूप से उछाल देखा गया, जिससे पूरा चुनावी आंकड़ा ही पलट गया।
उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा,
“हमारे संविधान की नींव इस बात पर टिकी है कि एक व्यक्ति को एक वोट का अधिकार है। जब यह सिद्धांत ही खतरे में है तो लोकतंत्र भी खतरे में है। क्या सही लोगों को वोट डालने की अनुमति मिल रही है? क्या फर्जी नाम मतदाता सूची में जोड़े जा रहे हैं? ये सवाल बेहद जरूरी हो गए हैं।”
राहुल गांधी ने सवाल उठाते हुए कहा कि एग्जिट पोल, ओपिनियन पोल और पार्टी के आंतरिक सर्वेक्षण कुछ और नतीजे दिखा रहे थे, लेकिन आखिरी परिणाम पूरी तरह विपरीत दिशा में निकलते हैं। उन्होंने हरियाणा और मध्य प्रदेश चुनाव का हवाला देते हुए कहा कि वहाँ भी ऐसा ही चौंकाने वाला ट्रेंड देखने को मिला।
🔍 “भाजपा पर सत्ता विरोधी भावना असर नहीं करती?”
राहुल गांधी ने भाजपा की चुनावी जीत को लेकर भी तीखे सवाल उठाए। उन्होंने कहा,
“हर लोकतंत्र में सत्ता विरोधी भावना होती है, जिससे हर पार्टी प्रभावित होती है। लेकिन भाजपा पर ये असर क्यों नहीं दिखता? क्या भाजपा को ‘जादुई’ तरीके से इससे मुक्ति मिल गई है?”
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा की अप्रत्याशित जीतों, पोल्स के गलत अनुमानों और मीडिया के ‘निर्देशित माहौल’ के पीछे कोई बहुत गहरी रणनीति काम कर रही है, जो लोकतंत्र की आत्मा को खत्म कर रही है।
📢 “मतदाता सूची में गड़बड़ी, सिस्टम में साज़िश!”
राहुल गांधी ने चुनाव आयोग से सवाल करते हुए कहा कि चुनावी कार्यक्रमों की टाइमिंग, वोटर टर्नआउट में विसंगतियाँ, और मतदाता सूची में छेड़छाड़ जैसे विषयों पर जांच होनी चाहिए। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि भारत में लोकतंत्र की मजबूती इस बात पर निर्भर करती है कि क्या वाकई एक वोट-एक व्यक्ति का अधिकार सुरक्षित है या नहीं।
उन्होंने कहा कि देश के करोड़ों नागरिकों के मन में यह सवाल उठने लगा है कि क्या देश का लोकतंत्र निष्पक्ष और पारदर्शी हाथों में है?