
बॉलीवुड की सुर साम्राज्ञी आशा भोंसले ने भारतीय संगीत को एक नई ऊंचाई दी है। रोमांटिक, क्लासिक, फोक से लेकर बोल्ड और कैबरे स्टाइल तक, आशा जी ने हर जॉनर में अपनी आवाज से जादू बिखेरा है। उनके गाए ‘पिया तू अब तो आजा’, ‘दम मारो दम’, और ‘ये रेशमी जुल्फों का अंधेरा’ जैसे गाने आज भी लोगों की जुबां पर हैं और क्लब्स व पार्टियों में खूब बजते हैं। लेकिन इन हिट गानों के पीछे एक ऐसी कहानी है, जिसमें विवाद, नाराजगी और एक कलाकार की भावनाएं छिपी हुई थीं।
जब रेडियो पर बैन हुए आशा के गाने
हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान आशा भोंसले ने उस दौर को याद किया जब उनके कुछ गानों को “बहुत बोल्ड” बताकर रेडियो पर बैन कर दिया गया था। उस वक्त गाने के बोल, म्यूजिक स्टाइल और वोकल एक्सप्रेशन को लेकर इतना विवाद खड़ा हो गया था कि आकाशवाणी ने कई गानों को प्रसारण सूची से हटा दिया। सबसे बड़ा झटका तब लगा जब ‘पिया तू अब तो आजा’ जैसे आइकॉनिक गाने को भी अश्लील माना गया और रेडियो से हटाया गया।
लता को सॉफ्ट, आशा को बोल्ड गाने?
बात यहीं खत्म नहीं हुई। आशा जी ने इंटरव्यू में बताया कि उन्होंने अपने पति और मशहूर संगीतकार आर. डी. बर्मन (पंचम दा) से यह सवाल किया था कि उन्हें हर बार बोल्ड गाने क्यों दिए जाते हैं, जबकि उनकी बहन लता मंगेशकर को सॉफ्ट और मधुर गाने ही मिलते हैं। यह सवाल न सिर्फ एक पत्नी और एक गायिका का था, बल्कि उस कलाकार का भी जिसने अपने करियर में हमेशा नया एक्सपेरिमेंट किया, चाहे बोल्ड हो या सूफियाना।
मजरूह सुल्तानपुरी भी हुए थे नाराज़
इतना ही नहीं, ‘पिया तू अब तो आजा’ की रिकॉर्डिंग के दौरान गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी स्टूडियो छोड़कर चले गए थे। उन्हें यह गाना उस वक्त की सांस्कृतिक सीमाओं से परे लगता था। बाद में जब गाना हिट हुआ, तो सबको यह एहसास हुआ कि आशा भोंसले ने क्या क्रांति ला दी थी।
आज यही गाने भारतीय सिनेमा की विरासत बन चुके हैं। इन गानों ने न केवल बॉलीवुड के संगीत की सीमाएं तोड़ीं, बल्कि यह भी साबित किया कि कला को किसी एक परिभाषा में बांधा नहीं जा सकता।