
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली क्षेत्र में बादल फटने की घटना के बाद हालात बेहद चिंताजनक हो गए हैं। प्राकृतिक आपदा के कारण भारी तबाही मची है। बुधवार दोपहर जब मौसम कुछ साफ हुआ, तो रेस्क्यू ऑपरेशन ने रफ्तार पकड़ी। भारतीय सेना, वायुसेना, NDRF, ITBP, और BRO के संयुक्त प्रयासों से धराली और आस-पास के क्षेत्रों में बचाव कार्य तेज़ी से जारी है।
अब तक इस आपदा में 6 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि कई लोग लापता हैं। प्रभावित इलाकों से 30–35 लोगों को चिनूक हेलिकॉप्टर से एयरलिफ्ट कर देहरादून के जौलीग्रांट एयरपोर्ट लाया गया है, जहां उनका प्राथमिक स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। इन लोगों को बाद में सेना और राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई बसों से आगे की सुरक्षा व्यवस्था के तहत रवाना किया गया।
चिनूक हेलिकॉप्टर के ज़रिए सिर्फ लोगों को ही नहीं, बल्कि अब धराली क्षेत्र में जेनरेटर और राहत सामग्री भी पहुंचाई जा रही है ताकि स्थानीय स्तर पर बिजली और संचार की व्यवस्था बहाल की जा सके। चिनूक का पहला लैंडिंग हर्षिल में हुआ, जिसमें NDRF के जवानों के साथ उपकरण भी भेजे गए।
आपदा प्रबंधन को लेकर दिल्ली से राष्ट्रीय स्तर पर भी सक्रियता देखी जा रही है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने धराली रेस्क्यू ऑपरेशन पर उच्च स्तरीय बैठक बुलाई, जिसमें सेना, वायुसेना, ITBP, BRO, मौसम विभाग, और NDRF के अधिकारी ऑनलाइन माध्यम से जुड़े। इस मीटिंग में राहत कार्यों की समीक्षा के साथ आगामी रणनीति तय की गई।
वहीं, सीमा सड़क संगठन (BRO) के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल रघु श्रीनिवासन ने बताया कि धराली से हर्षिल तक की 96 किलोमीटर की दूरी में कई बड़े भूस्खलन बिंदु हैं और एक पुल भी पूरी तरह ध्वस्त हो गया है। बीआरओ की टीमें लगातार तीसरे दिन भी पहाड़ काटकर सड़क बहाली का कार्य कर रही हैं। उन्होंने भरोसा दिलाया कि तीन दिनों के भीतर हर्षिल तक सड़क संपर्क बहाल कर दिया जाएगा। सड़क के डूबे हुए हिस्सों की जगह या तो पुरानी सड़क को बहाल किया जाएगा या नई सड़क का निर्माण शुरू किया जाएगा।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी हालात का जायज़ा लिया और उत्तरकाशी जिला अस्पताल में धराली क्षेत्र के ग्रामीणों से मुलाकात की। मुख्यमंत्री लगातार हालात की निगरानी कर रहे हैं और प्रशासन को त्वरित राहत व बचाव कार्य के निर्देश दे रहे हैं।
आपदा प्रबंधन सचिव के अनुसार, अब तक 274 तीर्थयात्रियों को गंगोत्री एवं अन्य क्षेत्रों से हर्षिल लाया गया है, जिसमें गुजरात के 131, महाराष्ट्र के 123, मध्य प्रदेश के 21, उत्तर प्रदेश के 12, राजस्थान के 6, दिल्ली के 7, असम और कर्नाटक के 5-5, तेलंगाना के 3 और पंजाब का एक व्यक्ति शामिल है। सभी को सुरक्षित रूप से उत्तरकाशी और देहरादून भेजा जा रहा है।
राजनीतिक स्तर पर भी हलचल है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करण माहरा ने भटवाड़ी के अंतिम संपर्क मार्ग तक पहुंच कर सरकार पर हमला बोला और कहा कि सरकार सिर्फ कागज़ों पर राहत दे रही है, जबकि ज़मीनी स्तर पर सेना और ITBP के जवान ही मोर्चा संभाले हुए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि नेटवर्क बाधित होने के कारण लोग अपने परिजनों से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं।
इस भीषण आपदा ने एक बार फिर उत्तराखंड के संवेदनशील पर्वतीय क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन, अनियोजित विकास और आपात प्रबंधन तंत्र की चुनौती को उजागर किया है। प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियां हर संभव प्रयास में जुटी हैं, लेकिन अभी भी राहत और पुनर्वास की लंबी प्रक्रिया बाकी है।