“उत्तरकाशी बादल फटने की त्रासदी: घर, दुकान और बेटा…सब कुछ एक पल में छिन गया”

उत्तरकाशी जनपद के धराली क्षेत्र में आई विनाशकारी आपदा ने एक परिवार की खुशियों को पलभर में मलबे में बदल दिया। महावीर पंवार और उनका परिवार आज भी उस भयावह मंजर को याद कर सिहर उठता है, जब एक अनियोजित सैलाब ने न केवल उनका घर और दुकान छीन ली, बल्कि उनके परिवार का सबसे बड़ा सहारा—उनका बड़ा बेटा आकाश पंवार—भी उनसे हमेशा के लिए दूर चला गया।

“ऐसा मंजर जिंदगी में कभी नहीं देखा”

गांव लौटकर और मोक्ष घाट पर पहुंचकर हर कोई यही कह रहा था कि ऐसी त्रासदी उन्होंने पहले कभी नहीं देखी। धराली आपदा ने महावीर पंवार के परिवार को ऐसा गहरा घाव दिया है, जिसे भर पाना शायद कभी संभव नहीं होगा।

जीवन की धुरी ही टूट गई

महावीर पंवार का घर और दुकान, दोनों एक ही जगह थे। यही दुकान उनका इकलौता आजीविका का साधन थी, जिसे ज्यादातर आकाश पंवार ही संभालता था। 32 वर्षीय आकाश परिवार के सबसे बड़े बेटे थे और उन्हें बचपन से ही बड़े लाड़-प्यार से पाला गया था। आपदा के दिन परिवार के अन्य सदस्य गांव में विभिन्न कामों में व्यस्त थे और कुछ मेले में गए थे, लेकिन आकाश अपनी दुकान पर ही मौजूद थे।

मौत बनकर टूटा सैलाब

अचानक आई भीषण बारिश और बादल फटने से एक तेज़ सैलाब ने पूरे क्षेत्र को अपनी चपेट में ले लिया। पानी, मलबा और पत्थरों के तेज़ बहाव ने आकाश की दुकान और घर को जमींदोज कर दिया। देखते ही देखते आकाश लापता हो गए।

खोज और इंतज़ार

आपदा के बाद राहत और बचाव कार्य शुरू हुआ। अलग-अलग तरह के कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन परिवार की आंखें बस एक ही उम्मीद में लगी थीं—कि आकाश सही सलामत मिल जाएं। मगर दूसरे ही दिन खोजी दल ने मलबे से जो पहला शव निकाला, उसकी पहचान आकाश पंवार के रूप में हुई।

परिवार का बिखरना

आकाश के शव की पहचान होते ही महावीर पंवार का पूरा परिवार गहरे सदमे में डूब गया। घर और दुकान के खोने का दर्द तो था ही, लेकिन बेटे के चले जाने का घाव कहीं अधिक गहरा और असहनीय था। तीन दिन बाद आकाश के ताऊजी जयभगवान पंवार भी हेलीकॉप्टर से हर्षिल पहुंचे और वहां से आकाश के शव को लेकर उत्तरकाशी लौटे।

शोक में डूबा उत्तरकाशी

आकाश का अंतिम संस्कार पूरे गांव और परिजनों की मौजूदगी में किया गया। इस घटना ने पूरे उत्तरकाशी जनपद को झकझोर दिया है। लोग अब भी इस अनहोनी को याद कर भावुक हो उठते हैं। धराली की इस त्रासदी ने यह साबित कर दिया कि प्राकृतिक आपदाएं न केवल भूगोल को बदल देती हैं, बल्कि जीवन की धुरी भी पलभर में छीन लेती हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


Notice: ob_end_flush(): Failed to send buffer of zlib output compression (0) in /home1/theindi2/public_html/wp-includes/functions.php on line 5471