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"अयोध्या के बाद अब सजेगा पुनौरा धाम, जगमगाएगा माता सीता जन्मस्थल" - The Indian Exposure

“अयोध्या के बाद अब सजेगा पुनौरा धाम, जगमगाएगा माता सीता जन्मस्थल”

अयोध्या में श्रीराम मंदिर के निर्माण ने जिस तरह पूरे देश और विश्वभर के हिंदू समाज में आस्था की नई लहर जगाई, उसी कड़ी में अब माता सीता की जन्मभूमि — बिहार के सीतामढ़ी स्थित पुनौरा धाम — भी अपनी दिव्यता और भव्यता के साथ उभरने को तैयार है। 5 अगस्त 2020 को अयोध्या में भूमि पूजन से लेकर 22 जनवरी 2024 के भव्य उद्घाटन तक का सफर पूरे देश ने देखा। और अब, लगभग उसी उत्साह और श्रद्धा के साथ 8 अगस्त 2025 को पुनौरा धाम जानकी मंदिर का भूमि पूजन और शिलान्यास हुआ, जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संयुक्त रूप से शिरकत की।

₹882 करोड़ की विशाल योजना

बिहार सरकार ने माता जानकी के इस पावन स्थल को विश्वस्तरीय धार्मिक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए ₹882 करोड़ 87 लाख की महत्वाकांक्षी योजना को मंजूरी दी है। इसके तहत 50 एकड़ भूमि का अधिग्रहण किया जा चुका है, जिसकी कीमत ₹165 करोड़ 57 लाख आंकी गई है। यह भूमि मिलाकर पुनौरा धाम का कुल क्षेत्रफल 67 एकड़ हो जाएगा — जो नियोजित विकास, आधुनिक सुविधाओं और धार्मिक महत्व के मामले में मौजूदा सीतामढ़ी शहर से भी अधिक सुव्यवस्थित होगा।

अयोध्या की तर्ज पर डिज़ाइन, 156 फीट ऊंचा मंदिर

पुनौरा धाम जानकी मंदिर का डिज़ाइन वही वास्तुशिल्प फर्म तैयार कर रही है जिसने अयोध्या का श्रीराम मंदिर बनाया था। प्रस्तावित ऊंचाई 156 फीट होगी, जो अयोध्या के मंदिर से मात्र 5 फीट कम है। परिसर में चारों दिशाओं से प्रवेश की व्यवस्था होगी, मध्य में गर्भगृह और उसके चारों ओर यज्ञ मंडप, जानकी कुंड, म्यूजियम, भंडारा स्थल और वाटिका विकसित की जाएंगी।

सुविधाओं से सुसज्जित धार्मिक नगरी

परिसर के पूर्वी छोर पर मुख्य प्रवेश द्वार और स्वागत केंद्र होगा, उत्तर दिशा में यात्री सुविधाएं और पुस्तकालय, दक्षिण में भंडारा स्थल व यज्ञ मंडप, और पश्चिम में जानकी कुंड व संग्रहालय का निर्माण होगा। बुजुर्गों और दिव्यांग श्रद्धालुओं के लिए ई-कार्ट सेवा उपलब्ध रहेगी। सुरक्षा जांच, गाइड मैप, वाटिका भ्रमण, वेद पाठशाला, मिथिला हाट और सांस्कृतिक मंच जैसे ढांचे भी तैयार होंगे।

पर्यटन, रोजगार और सांस्कृतिक पुनर्जागरण

यह परियोजना केवल मंदिर निर्माण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सीतामढ़ी और आसपास के क्षेत्र के लिए सामाजिक-आर्थिक अवसरों का द्वार खोलेगी। निर्माण कार्य, होटल, गाइड, हस्तशिल्प, भोजनालय और स्थानीय उत्पादों के विपणन से हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा। मिथिला संस्कृति को सहेजने के लिए विशेष रूप से वेद पाठशाला, म्यूजियम और हस्तशिल्प केंद्र बनाए जाएंगे।

आसान पहुंच, अंतरराष्ट्रीय पहचान

पुनौरा धाम सीतामढ़ी रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड से मात्र 5 किलोमीटर दूर है। यह राम-जानकी मार्ग पर स्थित है, जो अयोध्या से जनकपुर तक प्रस्तावित है। निकटतम हवाई अड्डा दरभंगा (70 किमी) और पटना अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (150 किमी) है। इससे देश-विदेश के श्रद्धालु यहां आसानी से पहुंच पाएंगे।

बिहार की आस्था का नया प्रतीक

अयोध्या की तरह ही, पुनौरा धाम का कायाकल्प बिहार की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को नया आयाम देगा। यह केवल ईंट-पत्थरों का ढांचा नहीं होगा, बल्कि बिहार की आध्यात्मिक चेतना, गौरव और आस्था का जीवंत प्रतीक बनेगा। आने वाले वर्षों में यह स्थल न केवल रामायण सर्किट का महत्वपूर्ण पड़ाव होगा, बल्कि विश्वस्तरीय धार्मिक पर्यटन मानचित्र पर अपनी जगह बनाएगा।

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