
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत के खिलाफ 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के फैसले ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नया व्यापारिक विवाद खड़ा कर दिया है। इस मुद्दे पर अब भारत को चीन का खुला और सशक्त समर्थन मिल गया है। हाल ही में भारत में चीन के राजदूत शू फेइहोंग ने अमेरिका को सीधे तौर पर “बुली” (धौंस जमाने वाला) करार देते हुए बयान दिया था, जिसके बाद चीन के विदेश मंत्रालय ने भी वाशिंगटन पर तीखा हमला बोला है।
बीजिंग ने साफ शब्दों में कहा है कि अमेरिका का यह कदम न केवल अनुचित है, बल्कि वैश्विक व्यापार नियमों के खिलाफ भी है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने चेतावनी देते हुए कहा कि इस तरह के ऊंचे टैरिफ लगाने से वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर नकारात्मक असर पड़ेगा और इससे विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान पहुंचेगा। चीन ने स्पष्ट किया कि वह भारत के साथ खड़ा है और अनुचित आर्थिक दबाव का हर संभव विरोध करेगा।
राजनयिक विशेषज्ञों का मानना है कि चीन का यह रुख केवल भारत के साथ एकजुटता दिखाने के लिए ही नहीं, बल्कि अमेरिका के बढ़ते संरक्षणवाद के खिलाफ एक व्यापक रणनीति का हिस्सा है। बीजिंग और नई दिल्ली, दोनों ही लंबे समय से व्यापारिक टैरिफ, तकनीकी प्रतिबंधों और भू-राजनीतिक दबाव जैसे मुद्दों पर अमेरिका के साथ मतभेद रखते आए हैं। ऐसे में यह समर्थन भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक बड़ी कूटनीतिक जीत माना जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, आने वाले दिनों में भारत और चीन इस मुद्दे को विश्व व्यापार संगठन (WTO) में भी उठाने की तैयारी कर सकते हैं। अगर ऐसा होता है, तो यह अमेरिका के खिलाफ एक साझा मोर्चा साबित होगा, जो वैश्विक व्यापार व्यवस्था में बड़ी हलचल पैदा कर सकता है।