
नई दिल्ली। 79वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से देशवासियों को संबोधित करते हुए आत्मनिर्भर भारत और स्वदेशी उत्पादों के उपयोग को लेकर एक सशक्त संदेश दिया। उन्होंने विशेष रूप से देश के दुकानदारों और व्यापारियों से अपील की कि वे अपनी दुकानों के बाहर ऐसे बोर्ड लगाएं, जिन पर साफ लिखा हो—“यहां केवल स्वदेशी माल बिकता है”। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें स्वदेशी वस्तुओं को मजबूरी में नहीं, बल्कि अपनी ताकत और गर्व के प्रतीक के रूप में अपनाना चाहिए।
मोदी ने अपने संबोधन में कहा, “मैं हर व्यापारी और दुकानदार से अपील करता हूं कि यह आपकी भी जिम्मेदारी है कि देश के हित में स्वदेशी को बढ़ावा दें। यह संदेश आपके बोर्ड पर, आपके व्यवहार में और आपके कारोबार में दिखना चाहिए।” उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत को आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाने में हर नागरिक, हर व्यापारी और हर उद्योगपति की भूमिका महत्वपूर्ण है।
समृद्ध भारत के लिए आत्मनिर्भरता का संकल्प
प्रधानमंत्री ने अपने 12वें और अब तक के सबसे लंबे स्वतंत्रता दिवस भाषण में कहा कि जब दुनिया में आर्थिक स्वार्थ और प्रतिस्पर्धा चरम पर है, तब भारत को अपने लिए एक नई, बड़ी लकीर खींचनी होगी। उन्होंने लड़ाकू विमान इंजन निर्माण, इलेक्ट्रिक वाहनों, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), सेमीकंडक्टर, सोशल मीडिया, उर्वरक और फार्मा जैसे क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता और नवाचार का व्यापक आह्वान किया।
उन्होंने कई बड़े कदमों की घोषणा भी की, जिनमें शामिल हैं—
- अगली पीढ़ी के सुधारों के लिए एक टास्क फोर्स का गठन
- दीवाली पर दोहरा उपहार: वस्तुओं पर कर राहत
- जीएसटी सुधार
- ऊर्जा में आत्मनिर्भरता के लिए राष्ट्रीय गहरे पानी की खोज मिशन
- 2035 तक स्वदेशी “सुदर्शन चक्र” रक्षा प्रणाली का विकास
स्वतंत्र भारत से समृद्ध भारत की ओर
पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा, “उस पीढ़ी ने स्वतंत्र भारत के लिए बलिदान दिया। इस पीढ़ी को समृद्ध भारत के लिए समर्पित होना चाहिए। यदि असंख्य बलिदानों से स्वतंत्र भारत का सपना पूरा हो सकता है, तो असंख्य लोगों की कड़ी मेहनत, आत्मनिर्भरता और वोकल फॉर लोकल से समृद्ध भारत का सपना भी साकार हो सकता है।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह किसी एक राजनीतिक दल का एजेंडा नहीं है, बल्कि पूरे राष्ट्र का सामूहिक संकल्प है। मोदी ने कहा कि यदि हम सब मिलकर इस दिशा में कदम बढ़ाएं, तो बहुत कम समय में हम विश्व मंच पर भारत की स्थिति को और ऊंचा कर सकते हैं।
घुसपैठ और राष्ट्रीय सुरक्षा पर चिंता
अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने पहली बार घुसपैठ के मुद्दे को प्रमुखता से उठाया और इसे देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बताया। उन्होंने इस संकट से निपटने के लिए एक उच्चस्तरीय जनसांख्यिकी मिशन शुरू करने की घोषणा की, जिससे सुरक्षा और सीमा प्रबंधन को और मजबूत किया जा सके।
प्रधानमंत्री के इस भाषण ने न केवल स्वदेशी और आत्मनिर्भरता के संदेश को बल दिया, बल्कि देशवासियों को यह भी याद दिलाया कि आजादी के बाद अब हमारा अगला लक्ष्य “समृद्ध भारत” का निर्माण होना चाहिए, जिसमें हर नागरिक सक्रिय योगदान दे।