भारत ने लॉन्च किया पहला स्वदेशी स्पेस प्रोसेसर ‘विक्रम 3201’, रॉकेट और सैटेलाइट मिशनों में होगा उपयोग

सेमिकॉन इंडिया 2025 सम्मेलन में भारत ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की। इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने भारत का पहला 32-बिट स्वदेशी स्पेस प्रोसेसर ‘विक्रम 3201’ पेश किया। इसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और चंडीगढ़ स्थित सेमीकंडक्टर लेबोरेटरी (SCL) के सहयोग से तैयार किया गया है। इस कदम को भारत की स्पेस और सेमीकंडक्टर आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जा रहा है।

क्यों खास है ‘विक्रम 3201’?

‘विक्रम 3201’ एक 32-बिट माइक्रोप्रोसेसर है, जिसे खासतौर पर अंतरिक्ष मिशनों की कठोर परिस्थितियों में काम करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह –55 डिग्री सेल्सियस से लेकर +125 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान को झेलने में सक्षम है। प्रोसेसर का मुख्य उद्देश्य रॉकेट और लॉन्च व्हीकल्स में नेविगेशन, कंट्रोल और मिशन मैनेजमेंट को सुचारु रूप से संभालना है। इसे मिलिट्री-ग्रेड स्टैंडर्ड्स के अनुसार रेडिएशन और वाइब्रेशन जैसी कठिन परिस्थितियों में भी भरोसेमंद बनाने पर ध्यान दिया गया है।

इससे पहले इसरो 2009 से ‘विक्रम 1601’ (16-बिट प्रोसेसर) का इस्तेमाल कर रहा था। अब ‘विक्रम 3201’ न सिर्फ 32-बिट आर्किटेक्चर लेकर आया है, बल्कि इसमें कई बड़े अपग्रेड शामिल हैं, जैसे कि 64-बिट फ्लोटिंग-पॉइंट ऑपरेशन, Ada प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का सपोर्ट और बेहतर कम्युनिकेशन के लिए ऑन-चिप 1553B बस इंटरफेस। इसे SCL की चंडीगढ़ यूनिट में 180-नैनोमीटर CMOS तकनीक से तैयार किया गया है, जो एयरोस्पेस एप्लिकेशंस के लिए अत्यंत भरोसेमंद है।

पहले ही सफलतापूर्वक टेस्ट किया गया

‘विक्रम 3201’ को पहले ही PSLV-C60 मिशन में टेस्ट किया जा चुका है। इसने PSLV Orbital Experimental Module (POEM-4) के मिशन मैनेजमेंट कंप्यूटर को सफलतापूर्वक संचालित किया। इस सफलता के बाद इसरो अब इसे अपने आगामी लॉन्च व्हीकल्स और स्पेस मिशनों में व्यापक रूप से अपनाने की योजना बना रहा है।

इसरो ने इसी साल मार्च 2025 में ‘विक्रम 3201’ के साथ ‘कल्पना 3201’ नाम का दूसरा प्रोसेसर भी लॉन्च किया था। यह प्रोसेसर 32-बिट SPARC V8 RISC आर्किटेक्चर पर आधारित है और ओपन-सोर्स टूलचेन को सपोर्ट करता है। इसके अलावा इसरो ने चार और स्वदेशी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण पेश किए हैं, जिनमें दो Reconfigurable Data Acquisition Systems, एक Relay Driver IC और एक Multi-Channel Low Drop-out Regulator IC शामिल हैं। इन उपकरणों से भारत की आयात निर्भरता कम होगी और स्पेस टेक्नोलॉजी में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी।

आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम

स्पेस-ग्रेड प्रोसेसर आमतौर पर बाजार में उपलब्ध नहीं होते और इन्हें विदेशों से आयात करना पड़ता है। ‘विक्रम 3201’ के विकास से भारत ने इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल कर ली है। इससे न केवल सप्लाई चेन बाधाओं और आयात निर्भरता में कमी आएगी, बल्कि भारत अंतरिक्ष तकनीक में वैश्विक प्रतिस्पर्धा में मजबूत स्थिति भी बनाएगा। इसरो ने इसके लिए पूरा सॉफ्टवेयर ईकोसिस्टम तैयार किया है, जिसमें Ada कंपाइलर, असेंबलर, लिंकर्स, सिमुलेटर और डेवलपमेंट एनवायरनमेंट शामिल हैं। इसके साथ ही जल्द ही C कंपाइलर भी तैयार किया जाएगा।

सेमिकॉन इंडिया 2025 में सेमीकंडक्टर पर फोकस

तीन दिन चलने वाले सेमिकॉन इंडिया सम्मेलन में ‘विक्रम 3201’ के लॉन्च के साथ ही सरकार ने यह भी जानकारी दी कि देश में 5 नए सेमीकंडक्टर यूनिट्स का निर्माण हो रहा है। डिज़ाइन-लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम के तहत भारत वैश्विक सप्लाई चेन में अपनी पकड़ मजबूत करने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, स्वदेशी प्रोसेसर और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के विकास से भारत के अंतरिक्ष मिशनों में नई गति और आत्मनिर्भरता आएगी।

‘विक्रम 3201’ का सफल लॉन्च और टेस्ट भारत के लिए न केवल तकनीकी उपलब्धि है, बल्कि यह देश को अंतरिक्ष तकनीक में आत्मनिर्भर और सुरक्षित भविष्य की दिशा में एक मजबूत कदम भी प्रदान करता है।

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