
अल्मोड़ा जिले के लमगड़ा तहसील का छोटा सा गांव तोक बुरुसी आखिरकार 77 साल बाद अंधकार से बाहर निकल आया है। आजादी के बाद से अब तक यह गांव बिजली जैसी बुनियादी सुविधा से वंचित था। सरकारी प्रक्रियाओं की जटिलताओं और भौगोलिक कठिनाइयों ने ग्रामीणों को दशकों तक अंधेरे में जीने पर मजबूर कर दिया। लालटेन और ढिबरी की रोशनी में जीवन गुजारने वाले ग्रामीणों ने हार नहीं मानी और निरंतर संघर्ष करते रहे। अंततः ग्रामीणों की अडिग जिद और हौसले के आगे सरकारी सिस्टम को झुकना पड़ा और गांव तक रोशनी पहुंचाने का रास्ता निकालना पड़ा।
तोक बुरुसी गांव में करीब 15 घर हैं, जिनमें लगभग 50 लोग रहते हैं। यह गांव विद्युत वितरण खंड अल्मोड़ा के अंतर्गत आता है, लेकिन घने वन क्षेत्र और दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण खंभे गाड़कर बिजली पहुंचाना संभव नहीं हो पा रहा था। हर बार जब ग्रामीणों ने बिजली की मांग उठाई, उन्हें यही जवाब मिला कि विद्युतीकरण असंभव है। इस कारण ग्रामीण दशकों तक निराशा झेलते रहे।
हालांकि ग्रामीणों ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने बार-बार सरकार और ऊर्जा विभाग से गुहार लगाई। अंततः समाधान के तौर पर यह तय किया गया कि अल्मोड़ा की बजाय नैनीताल जिले के भीमताल क्षेत्र से विद्युत लाइन खींची जाए। इस विकल्प पर काम शुरू हुआ और चंद दिनों में बिजली की लाइन गांव की दहलीज तक पहुंचा दी गई। अब ग्रामीणों की आंखों का सपना साकार होने जा रहा है—आगामी दीपावली पर पहली बार तोक बुरुसी गांव रोशनी से जगमगाएगा।
गांव के लोगों के लिए यह केवल सुविधा नहीं, बल्कि 77 वर्षों का संघर्ष, धैर्य और साधना का परिणाम है। ग्रामीणों का कहना है कि बिजली आने से न केवल उनका जीवन आसान होगा बल्कि बच्चों की पढ़ाई, मोबाइल-इंटरनेट सुविधा, स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच और रात के समय जंगली जानवरों से बचाव भी संभव हो सकेगा।
गांव के ओम प्रकाश और वेद प्रकाश ने उपभोक्ता शिकायत निवारण मंच में बताया कि अब तक गांव में अंधेरा होते ही भय का वातावरण बन जाता था। जंगली जानवरों का खतरा हमेशा मंडराता रहता था। उन्होंने कहा कि बिजली आने के बाद अब सामान्य जीवन व्यतीत करना आसान होगा।
ऊर्जा विभाग की ओर से बताया गया कि जल्द ही उपभोक्ताओं को कनेक्शन देने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। भीमताल की एसडीओ काजल ने कहा कि भौगोलिक अवरोधों के कारण अल्मोड़ा से बिजली पहुंचाना मुश्किल था, इसलिए भीमताल से लाइन खींचकर गांव तक पहुंचाई गई।
यह भी ध्यान देने योग्य है कि उत्तराखंड में अभी भी लगभग 60 सीमांत गांव ऐसे हैं, जहां ग्रिड से बिजली नहीं पहुंच पाई है। यूपीसीएल ने इन गांवों के विद्युतीकरण के लिए योजना तैयार की है और धीरे-धीरे वहां भी काम किया जा रहा है।
तोक बुरुसी गांव का यह संघर्ष और सफलता की कहानी यह दर्शाती है कि यदि हिम्मत और धैर्य हो, तो असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है। इस बार की दीपावली इस गांव के लिए खास होगी क्योंकि पहली बार उनके घर और आंगन बिजली की रोशनी से जगमगाएंगे और 77 साल का अंधकार मिट जाएगा।