उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सख्त निर्देशों पर शुरू किया गया ऑपरेशन कालनेमि अब और व्यापक और प्रभावी तरीके से संचालित किया जाएगा। प्रदेश की सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत बनाने और संदिग्ध तत्वों पर नजर रखने के उद्देश्य से चलाए जा रहे इस अभियान ने अब तक महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। रविवार को पटेल भवन में आयोजित प्रेस वार्ता में आईजी कानून व्यवस्था डॉ. नीलेश आनंद भरणे ने बताया कि ऑपरेशन कालनेमि के तहत अब तक राज्यभर में 5500 से अधिक लोगों का सत्यापन किया जा चुका है। इनमें से 14 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि पकड़े गए बांग्लादेशी नागरिकों को बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) के सहयोग से उनके देश वापस भेज दिया गया है।

डॉ. भरणे ने कहा कि इस अभियान का सबसे बड़ा उद्देश्य समाज को यह स्पष्ट संदेश देना है कि उत्तराखंड पुलिस किसी भी ऐसे व्यक्ति या संगठन को बख्शने के पक्ष में नहीं है, जो देवभूमि की पवित्रता और जनता की आस्था को आहत करने का प्रयास करता है। उन्होंने बताया कि शासन स्तर पर भी इसके लिए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं और अभियान की पारदर्शिता और प्रभावशीलता पर नजर रखने के लिए मुख्यालय स्तर पर एक विशेष समिति का गठन किया गया है। यह समिति रोजाना की कार्रवाई पर नजर रखती है और उसकी रिपोर्ट शासन को उपलब्ध कराती है।
अब तक के आंकड़ों के अनुसार, हरिद्वार जिले में सबसे अधिक 2704 लोगों का सत्यापन किया गया है। इनमें से तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया। वहीं, देहरादून जिले में 922 लोगों का सत्यापन किया गया और चार लोगों को गिरफ्तार किया गया। इसके अतिरिक्त राज्यभर में अब तक की कार्रवाई में कुल 1182 लोगों के खिलाफ निरोधात्मक कार्रवाई भी की गई है। आईजी ने जानकारी दी कि टिहरी, पौड़ी, अल्मोड़ा, नैनीताल और ऊधमसिंहनगर जिलों में भी यह अभियान लगातार चल रहा है और स्थानीय पुलिस बल को निर्देश दिए गए हैं कि वे इसे प्राथमिकता पर लेते हुए और सख्ती से लागू करें।
डॉ. भरणे ने आगे कहा कि इस अभियान को लेकर जनता के बीच सकारात्मक माहौल बना है और लोगों का भरोसा भी बढ़ा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि आने वाले समय में इस अभियान का दायरा और बढ़ाया जाएगा तथा इसमें आधुनिक तकनीक का उपयोग भी किया जाएगा, ताकि किसी भी प्रकार की आपराधिक, असामाजिक या राष्ट्रविरोधी गतिविधियों पर समय रहते काबू पाया जा सके।
विशेषज्ञों का मानना है कि ऑपरेशन कालनेमि प्रदेश की सुरक्षा और सामाजिक ताने-बाने को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल अपराधियों और असामाजिक तत्वों पर नकेल कसने का माध्यम बनेगा, बल्कि आम जनता को यह भरोसा भी देगा कि उत्तराखंड पुलिस उनकी सुरक्षा और शांति सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।